कोरोना महामारी : एक ज्योतिषीय परिप्रेक्ष्य Blog written by Dr. Jitendra Vyas
कोविड-19 के संक्रमित प्रकोप के चलते पूरी दुनिया में इस समय भय का माहौल बना हुआ है अतः मन में ये सवाल जरूर पैदा हो रहा है कि आखिर इस कोरोना महामारी का कब अंत होगा, ऐसे में वे भी इस बीमारी पर कब तक काबू पाया जा सकेगा, इसे लेकर संशय में हैं परन्तु मेदनीय ज्योतिष इसको लेकर कोई संशय नहीं है । इसके लिए मेदनीय ज्योतिष में तीन विभागों का आंकलन करना आवश्यक है ।
1) ग्रहण पक्ष, 2) संवत्सरिय पक्ष, 3) गोचरीय पक्ष
किसी भी दवाई या वैज्ञानिक अविष्कार या खोज का कारक ग्रह राहु होता है. और यह वर्ष भी राहू के अधीन है, जिससे अब वैज्ञानिक खोज का कारक ग्रह राहु के प्रभाव से बहुत जल्द ही वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का इलाज खोज लिया जायेगा. फिर भी प्रमादी संवत्सर तो इस महामारी के साथ निकालना ही होगा, अभी जब तक गोचर में गुरु केतु की युति सितंबर 2020 तक रहेगी तब तक विश्व में कोरोना वायरस के काफी केस मिलते रहेंगे । 26 दिसंबर को मूल नक्षत्र धनु राशि में सूर्य ग्रहण के साथ ही कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ था. सूर्यग्रहण का प्रभाव कम से कम तीन माह तक रहता है । पूरा भारत वर्ष मुख्यरूप से मध्य भारत, डॉक्टर पीड़ित होंगे, व्यापार ठप्प, व्यापारी परेशान होंगे , अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाएगी, स्वर्ण इत्यादि सस्ते होंगे । यथा
यदोपरागश्चापेस्यात्तदावंत्याश्च वाजिन: । विदेहमल्लपांचाला: पीड्यन्ते भिषजो विश: ॥
23 सिंतबर को केतु वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा. इससे सितंबर के अंत तक इसका प्रभाव काफी हद तक कम होने की संभावना है । ग्रहों की चाल अर्थात गोचर के चलते भी अगले कुछ दिनों में इसकी रफ्तार में कमी आ जाएगी, लेकिन आमजन अगले वरह 2021 के अप्रेल तक इसके छोड़े गए प्रभावों से ग्रसित तो रहेगा ही, लेकिन कुछ जगहों पर इससे बचाव की ओर ध्यान नहीं दिए जाने के चलते एक बार फिर ये महामारी कुछ माह बाद सामने आ सकती है ।
केतु ने 6 मार्च 2019 को धनु राशि में प्रवेश किया था। इसके बाद 4 नवंबर 2019 को बृहस्पति ने धनु राशि में प्रवेश किया था। केतु व गुरु के एक साथ धनु में आने के चलते चीन में पहला केस नवंबर 2019 में सामने आया था। इसी समय बृहस्पति अतिचारी था और शनि वक्री था, आतः उस समय से इस महामारी के कारण ही पृथ्वी पर हाहाकार फेलना आरंभ हुआ ।यथा
अतिचारगते जीवेवक्रीभूतेशनेश्वरे । हाहाभूतंजगत्सर्वंरुण्डमालामहीतले ॥
वहीं इसके अलावा विशिष्ट संहिता में वर्णन के अनुसार ही इसके बाद 26 दिसंबर 2019 को साल का आखिरी सूर्यग्रहण पड़ा। ऐसे में इस सूर्यग्रहण के दिन ग्रहों का षडाष्टक योग बना था। सूर्य, चंद्र, बृहस्पति, शनि, बुध और केतु के योग से सूर्यग्रहण का नकारात्मक प्रभाव पड़ा। इसने वायरस को महामारी बना दिया।
जबकि इसके 14 दिन बाद पड़ा चंद्रग्रहण भी शुभ फल देने वाला नहीं था और राहु, केतु, शनि से पीड़ित रहा था। ज्योतिष के अनुसार सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति के कमजोर होने पर प्रलय की स्थिति निर्मित होती है । वहीं इसके बाद जब केतु मूल नक्षत्र में पहुंचा तो वायरस ने भयानक रूप धारण कर लिया ।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार शनि एवं सूर्य के योग से खड़ा हुआ विषाणुजनित महामारी का यह संकट इस संवत्सर 2077 में बुध और चंद्र के योग से खत्म होगा। ज्योतिष शास्त्र में नए संवत्सर की शुरुआत सप्ताह के जिस दिन से होती है, वही उस वर्ष का राजा होता है और उसी के अनुसार उस वर्ष के फल निर्धारित होते हैं। नए संवत्सर 2077 की शुरुआत बुधवार, 25 मार्च 2020 से हुई है।
इसलिए प्रमादी नामक “संवत्कालो ग्रहयुत: कृत्वा शून्यरसैर्हत: । शेषा: सम्वंत्सरा ज्ञेया: प्रभवाद्या वुधे: क्रमात् ॥” इस संवत्सर का राजा बुध है, इस संवत्सर में वाइरस ने महामारी का रूप ले लिया है,
प्रमाथीवत्सरेतत्रमध्यसस्यार्धवृष्टय: । प्रजा:कथंचिज्जीवन्तिसमात्सर्य: क्षितिश्वरा: ॥
परंतु मैं पहले ही अवगत करा दूँ, 21/6/2020 को फिर सूर्यग्रहण जो कि मिथुन/आर्द्रा का है, यमुना के समीप वालों अर्थात दिल्ली व उसके समीप सभी स्थानों पर यह भयंकर पीड़ा सतत बनी रहेगी ।यथा
सूर्याचन्द्रमसोर्ग्रासो मिथुने छ वारंगना: । पीड्यन्ते बाहिल्का लोका यमुनातटवासिन: ॥
उपाय :-
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएँ रखें (आयुष काढ़ा से )
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएँ अपने #लग्नेश को बली रखें ।
- भारत सरकार के दिशा निर्देशों की भरपूर पालना करें ।
डॉ. जितेन्द्र व्यास
(लेखक ज्योतिष विषय के व्याखाता हैं )
सम्पर्क : डॉ. जितेन्द्र व्यास
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blog no: 122,