गणपति साधना व अचूक सिद्ध प्रयोग by Dr. Jitendra Vyas
सनातन-हिन्दू धर्म में उपास्य देवों में श्री गणेश का असाधारण महत्व है। गणेश मानव के विघ्नों को दूर करने के लिए व सर्व-मंगलकारी कार्यों के आरम्भ के लिए सिद्ध देव हैं। गणेश जी से संबन्धित मानुषी के विघ्न हरण की तन्त्रोक्त व मंत्रोक्त साधनाएं व प्रयोग की वृहद चर्चा आज मैंने इस गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर यह Blog में की है। ‘गणेश’ शब्द का अर्थ है- गणों का स्वामी। गोस्वामी तुलसी दस जी ने इन्हें “बुद्धिरासी सुभ गुण सदन” एवं मंगलकर्ता मानते हुये ही रामचरित मानस की रचना की है। हमारे सभी देवी-देवताओं ने गणेशजी को ‘प्रथम वन्दे गणपती’ मानते हुये सर्वप्रथम पूज्य स्वीकारने का कहा है।
महाराष्ट्र में सर्वप्रथम 18 वीं सदी में पेशवाओं के राजमहल में भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से दशमी तक गणेशोत्सव मनाया जाता था, इन समारोह में पेशवा राजघराना स्वयं गणेश की प्रतिमा का विसर्जन करते थे। जो की 1818 तक चला बाद में बल गंगाधर तिलक ने इस प्रथा को समाज में घरेलू स्तर तक पहुंचा दिया जो अब भारत वर्ष के कोने-कोने तक पहुँच गयी है। यद्यपि इस प्रथा का कोई वैदिक व पौराणिक सन्दर्भ नहीं मिलता है। मैंने आज इस आलेख में गणपति के विभिन्न रूपों की तथा जातक के जीवन उनसे होने वाले सुधारों की चर्चा की है।
- विध्या प्रदायक गणपति : जिन माता-पिता के बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में थोड़े कमजोर हैं उन्हें अपने घर के मुख्य द्वार पर विध्या प्रदायक गणपति की मूरत स्थापित करनी चाहिए और मूर्ति प्रतिष्ठा के समय “ज्ञानमुद्रावते नमः, विध्यानिहार्य नमः व ज्ञानरुपाय नमः” इन मंत्रों को यज्ञ द्वारा उच्चारित करना चाहिए।
- विवाह विनायक गणपति : जिन लड़के-लड़कियों के विवाह में बाधाएँ आ रही हों, विवाह की आयु निकल रही हो, मनोवांछित वर या वधू नहीं मिल रही हो तो, इस विघ्न के निराकरन के लिए आपके गृह के मुख्य द्वार पर विवाह विनायक गणपति की स्थापना करनी चाहिए, मूर्ति प्रतिष्ठा के समय “सकलकामदाय नमः, कामनीकान्तकार्श्रय नमः” इन मंत्रों को संपुट सहित उच्चारित करना चाहिए।
- ऋण मोचन गणपति : कर्ज से मुक्ति के लिए ऋण मोचन गणपति की मूरत को घर में “ऋणत्रय विमोचनाय नमः” मंत्र से शुभ मुहूर्त में प्रतिष्ठित करना चाहिए।
- शत्रुहंता गणपति : अपने शत्रुओं के नाश के लिए इस प्रकार के गणपति को “ॐ गणपतये शत्रुहंताय नमः” के मंत्र सहित घर में प्रतिष्ठापित करना चाहिए। इस मूर्ति के दर्शन मात्र से ही आपके शत्रु कट जाते हैं तथा वह जीवन भर भयभीत व आशंकित रहते हैं।
- धनदायक गणपति : इस आर्थिक युग में अर्थ ही सब कुछ माना गया है, परन्तु यही आर्थिक युग संघर्ष का भी है। मानव परिश्रम करने पर भी वह सब कुछ नहीं पता जो इस भौतिक युग के जीवन में चाहिए अतः मानुषी को घरों में ओर चतुर्थी को धनदायक गणपति की स्थापना करनी चाहिए जिससे व्यक्ति को धन का अभाव नहीं रहता। इस गणपति की साधना निम्न मंत्रों से करनी चाहिए- “सिद्ध लक्ष्मी मनोहर प्राय: नमः, मणिकुण्डलमंडिताय नमः और श्रीपतये नमः”॥
- पद-प्राप्ति व नेतृत्व शक्ति गणपति : जो जातक राजनीतिक पद व प्रशासनिक पद की लालसा रखते हैं उन्हें इस प्रकार के गणपति की मुरत को “गणाध्क्षाय नमः व गणनायकाय नमः” मंत्रों से सिद्ध करके इनको प्रतिष्ठापित करना चाहिए।
- रोग नाशक गणपति : इस प्रकार के गणपति की प्रतिष्ठापन से व्यक्ति के रोग नाश होते हैं, असाध्य रोगों की तीव्रता में कमी आती है, इन्हें ‘मृत्युंजजाय नमः’ मंत्र से सिद्ध करें।
- संतान गणपति : जिन दंपतियों के संतान नहीं हो रही या फिर हो कर मर जाती है तो इस प्रकार के गणपति को निम्न मंत्रों से सिद्ध करके अपने घर मे स्थापित करें। “गर्भदोषहयो नमः, संतान गंतत्ये नमः”
- विजयसिद्ध गणपति : आज के इस भौतिक युग में वुयक्ति कई बार कोर्ट-केस व पुलिस मुकदमों में फंस जाता है, उनके शीघ्र निस्तारण के लिए ‘विजय स्थिराय नमः’ मंत्र से स्थापित करना चाहिए।
- चिंतानाशक गणपति : जो व्यक्ति अनावश्यक चिंतित रहते हैं या उन्हें मानसिक तनाव घेरे हुये है या फिर अपने किसी कृत्य से चिंता बनी हुयी है तो उन्हे शीघ्र ही “चिंतामणि चवर्णलालसाय नमः” मंत्र द्वारा चिंतानाशक गणपति को प्रतिष्ठापित करना चाहिए।
- आनन्द दायक गणपति : जीवन, ऑफिस व घर में आनन्द, सुख व प्रेम के लिए इस प्रकार के गणेशजी की प्रतिमा को “सुमंगलाय नमः” मंत्रों से प्राण प्रतिष्ठित कर घर में या पंडाल में बिठाना चाहिए।
- सिद्धिदायक गणपति : जीवन में प्रत्येक कार्य के लिए इस प्रकार सफलता पाने के लिए, जीवन के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पाने के लिए तथा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इस प्रकार गणेश जी “रिद्धि-सिद्धि प्रदायकाय नमः, सिद्धवेदाय नमः तथा सिद्धिविनाकाय नमः” मंत्रों से प्राण प्रतिष्ठित कर घर में या पंडाल में बिठाना चाहिए।
- विघ्नहर्ता गणपति : जिन जातकों के घरों में निरंतर कलह, द्वेष, समस्याएँ व मानसिक द्वंध बने रहते हैं उन्हें “निर्हन्याय नमः मंत्र प्राणपूरित विघ्नहर्ता गणपति गणेश जी की मुरह द्वार पर लगानी चाहिए।
Blog No. 40,Date: 17/9/2015
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