धनवान पति योग by डॉ. जितेन्द्र व्यास
आप मेरे इस ब्लॉग से जाने की स्त्री (कन्या) की कुंडली में धनवान जीवनसाथी के योग किस प्रकार होते हैं।
जिस कन्या की जन्मकुंडली के लग्न में चन्द्र, बुध, गुरु या शुक्र उपस्थित होता है, उसे धनवान पति प्राप्त होता है।
जिस कन्या की जन्मकुंडली के लग्न में गुरुउपस्थित हो तो उसे सुंदर, धनवान, बुद्धिमान पति व श्रेष्ठ संतान मिलती है।भाग्य भाव में या सप्तम, अष्टम और नवमभाव में शुभ ग्रह होने से ससुराल धनाढच्य एवं वैभवपूर्ण होती है।
कन्या की जन्मकुंडली में चन्द्र से सप्तमस्थान पर शुभ ग्रह बुध, गुरु, शुक्र आदि में से कोई उपस्थित हो
तो उसका पति राज्य में उच्च पद प्राप्त करता है तथा उसे सुख व वैभव प्राप्त होता है।
कुंडली के लग्न में चंद्र हो तोऐसी कन्या पति को प्रिय होती है औरचंद्र व शुक्र की युति हो तो कन्या ससुराल में अपार संपत्ति एवं समस्त भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त करती है।
कन्या की कुंडली में वृषभ, कन्या, तुलालग्न हो तो वह प्रशंसा पाकर पति एवं धनवान ससुराल में प्रतिष्ठा प्राप्त करती है।कन्या की कुंडली में जितने अधिक शुभ ग्रह गुरु, शुक्र, बुध या चन्द्र लग्न को देखते हैं या सप्तम भाव को देखते हैं, उसे उतनाधनवान एवं प्रतिष्ठित परिवार एवं पति प्राप्त होता है।
कन्या की जन्मकुंडली में लग्न एवं ग्रहोंकी स्थिति की गणनानुसार त्रिशांशकुंडली का निर्माण करना चाहिए तथा देखना चाहिए कि यदि कन्या का जन्म मिथुन या कन्या लग्न में हुआ है तथा लग्नेशगुरु या शुक्र के त्रिशांश में है तो उसके पति के पास अटूट संपत्ति होती है तथा कन्या सदैव ही सुंदर वस्त्र एवं आभूषण धारण करने वाली होती है।
कुंडली के सप्तम भाव में शुक्र उपस्थित होकर अपने नवांश अर्थात वृषभ या तुला के नवांश में हो तो पति धनाढच्य होताहै।सप्तम भाव में बुध होने से पति विद्वान, गुणवान, धनवान होताहै, गुरु होने से दीर्घायु, राजा के संपत्ति वाला एवं गुणी तथा शुक्र या चंद्र हो तो ससुराल धनवान एवं वैभवशाली होता है।
एकादश भाव में वृष, तुला राशि होया इस भाव में चन्द्र, बुध या शुक्र हो तो ससुराल धनाढच्य और पतिसौम्य व विद्वान होता है।हर पुरुष सुंदर पत्नी और स्त्री धनवान पति की कामनाकरती है।
यदि जातक की जन्मकुंडली के सप्तम भाव में सूर्य हो तो उसकी पत्नी शिक्षित,सुशील, सुंदर एवं कार्यो में दक्ष होती है,किंतु ऐसी स्थिति में सप्तम भाव पर यदि
किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तोदाम्पत्य जीवन में कलह और सुखों का अभाव होताहै।
जातक की जन्मकुंडली मेंस्वग्रही, उच्च या मित्र क्षेत्री चंद्र होतो जातक का दाम्पत्य जीवन सुखी रहताहै तथा उसे सुंदर, सुशील, भावुक, गौरवर्ण एवं सघनकेश राशि वाली रमणी पत्नीप्राप्त होती है। सप्तम भाव में क्षीणचंद्र दाम्पत्य जीवन में न्यूनता उत्पन्न करता है।
जातक की कुंडली में सप्तमेश केंद्र मेंउपस्थित हो तथा उस पर शुभ ग्रह की दृष्टिहोती है, तभी जातक को गुणवान, सुंदरएवं सुशील पत्नी प्राप्त होतीहै। पुरुष जातक की जन्मकुंडली केसप्तम भाव में शुभ ग्रह बुध, गुरु या शुक्र उपस्थित हो तो ऐसाजातक सौभाग्यशाली होता है तथा उसकीपत्नी सुंदर, सुशिक्षित होती है और कला,नाटक , संगीत, लेखन, संपादन में प्रसिद्धि प्राप्तकरती है। ऐसी पत्नीसलाहकार, दयालु, धार्मिक-आध्यात्मिक क्षेत्र में रुचिरखती है।
BlogNo. 72,Date: 7/11/2016
Contact: www.drjitendraastro.com,
info@drjitendraastro.com, 09928391270