पक्षी उल्लू और शकुन तन्त्र by डॉ. जितेन्द्र व्यास
आज के समय में शकुन तथा तंत्र के बारे में विधिवत प्रारूप में कम लोग ही जानते है, पशु व पक्षी का शकुन और उनसे जनित सकारात्मक तंत्र प्रयोग की विधि शास्त्रार्थ है, आज इसी विषय को ध्यान में रख पक्षी ‘उल्लूक’ के बारे में यह Blog लिखा है,तंत्र में उल्लू के रक्त, मल, मूत्र, हृदय, नेत्र, पंख, नख आदि रोगों के अलग-अलग उपयोग हैं। प्राचीन काल में कथित तौर पर तांत्रिक क्रियाओं में उल्लू सर्वाधिक वांछित पक्षी माना गया और उसके विविध उपयोगिताओं पर विस्तृत ग्रंथ ‘उलूक कल्प’ और ‘बसंत राजशकुन’ लिखा गया।
[१] माना जाता है प्रात:काल पूर्व दिशा में वृक्ष पर बैठे उल्लू को बोलते हुए देखने वाले व्यक्ति को धन की प्राप्ति का संकेत है।
[२] यदि पश्चिम दिशा में पेड़ पर बैठकर बोल रहे उल्लू पर नजर पड़ जाए तो धन की हानि की सूचना है। [३] उल्लू उत्तर दिशा में बैठा बोलता दिखे तो मृत्यु, दुर्घटना या बीमारी का संकेत है। [४] दक्षिण दिशा में प्रात: उल्लू को देखना-सुनना शत्रु हानि, धन लाभ जैसे शुभ का सूचक है। [५] रात्रि की बेला में उल्लू की आवाज यदि पूर्व दिशा से आ रही हो तो माना जाता है कि कल्याणकारी है और अगर पश्चिम, उत्तर या दक्षिण दिशा से आए तो किसी परेशानी की पूर्व सूचना है। [६] यदि प्रस्थान के समय उल्लू दाईं ओर दिखे तो यात्रा निष्फल होने की आशंका है। [७] कहीं जाते समय पीठ पीछे उल्लू हो तो यात्रा सफल होगी, ऐसा माना जाता है। [८]बिना आवाज किए उल्लू रात्रि में बिस्तर पर आ बैठे तो यह विश्वास है कि यदि कोई रोगी हो तो वह शीघ्र स्वस्थ होगा या कोई मांगलिक कार्य शीघ्र होने वाला है। [९]किसी मकान पर उल्लू कई दिन तक आ-आकर बैठता है तो उस घर में किसी अनिष्ट की आशंका प्रबल है। [१०]किसी पेड़ पर उल्लू का आकर नियमित बैठना और बोलना उस पेड़ या क्षेत्र के लिए अनिष्ट का सूचक है। [११]पक्षी तंत्र के अनुसार उल्लू धन के संकेत देने वाला होता है। जिन जगहों पर गड़ा धन या खजाना होता है। वहां उल्लूपाए जाते हैं। तंत्र शास्त्रों में उल्लू को धन की रक्षा करने वाला माना जाता है। [१२]उल्लू जिस घर या मंदिर में रहने लग जाए तो समझे उस जगह गड़ा धन या खजाना होगा और जहां उल्लू रहने लग जाते हैं ऐसी जगह जल्दी ही सुनसान हो जाती है।blog No. 81, Date: 16/11/2016
Contact: 9928391270, www.drjitendraastro.com, info@drjitendraastro.com