पर्यावरण वास्तु से वशीकरण और हवन

पर्यावरण वास्तु से वशीकरण और हवन by Dr. Jitendra Vyas

साधक वर्ग ग्रहों की शांति के लिए और अन्य प्रयोगों के लिए कई शास्त्रार्थ उपाय (पूजा, यज्ञ, तन्त्र, यत्न इत्यादि) करते हैं, लेकिन इन उपायों में पर्यावरण का ही उपयोग img_20160414_132352लिया जाता है, जैसे वृक्ष की लकड़ी, उनके फल, छाल, पुष्प इत्यादि। आज मैंने इस Blog में सनातन धर्मावलम्बियों के इसी पर्यावरण वास्तु से यज्ञ व वशीकरण के सरल व शास्त्रार्थ प्रयोग की विधि बतलाई है।

यदि कोई जातक ग्रहों की हवनात्मक शांति करनी चाहै तो यज्ञ में उसे सूर्य ग्रह की शांति के लिए अर्क (आकड़ा) की लकड़ी का प्रयोग करना चाहिए, चन्द्रमा के लिए पलाश, मंगल के लिए खदिर, बुध के लिए उपामार्ग, गुरु के लिए दूर्वा और शनि, राहू व केतू के लिए कुश का प्रयोग किया जाता है। यदि सभी समिधाएँ (यज्ञ की लकड़ियाँ) जातक को न मिले तो “पलाश” एक ऐसी यज्ञ लकड़ी है जो सभी ग्रहों की शांति में प्रयुक्त हो सकती है। इसके अलावा अश्वत्थ, शमी, बड़, उदुम्बर, अपामार्ग, न्यग्रोध, पलक्ष, बिल्ब, चन्दन, साल, देवदारु, गुग्गल, सरल, खेजड़ी इत्यादि यज्ञीय वृक्ष हैं।

अब मैंने यहाँ वशीकरण का एक अद्भूत प्रयोग बतलाया है जो की जातक के जन्म नक्षत्र एवं उनके वृक्ष से संबन्धित है। वशीकरण प्रयोग के अंतर्गत जिस व्यक्ति को वशीभूत करना हो उसके जन्म नक्षत्र के वृक्ष की लकड़ी की एक प्रतिमा बनाये, उसको विज्ञ ऋत्विज से प्राणप्रतिष्ठित करवाकर आँगन में गाड़ दें, तत्पश्चात उसके उपर अग्नि स्थापन कर, मध्यरात्रि में सात दिन तक रक्त चन्दन मिश्रित जबाकुसुम के फूलों से प्रतिदिन एक हजार आहुति देनी चाहिए। इसके बाद उस प्रतिमा को निकालकर नदी के किनारे गाड़ देना चाहिए। ऐसा करने से माध्य निश्चित रूप से साधक का दास हो जाता है।

जन्म नक्षत्र एवं उनके वृक्ष  

1) अश्विनी – कारस्कार              15) स्वाति – अर्जुन

2) भरनी  – धात्री                          16) विशाखा – विकंकत

3) कृतिका – उदुम्बर                  17) अनुराधा – बकुला

4) रोहिणी – जम्बू                      18) ज्येष्ठा – सरल

5) मृगशिरा – खादिर                  19) मूल – सर्ज

6) आर्द्रा – कृष्ण                         20) पूर्वाषाढ़ा – वंजुल

7) पुनर्वसु – वंश                         21) उत्तराषाढ़ा – पनस

8) पुष्प – पिप्पल                       22) श्रवण – अर्क

9) आश्लेषा – नाग                     23) घनिष्ठा – शमी

10) मघा – रोहिण                      24) शतभिषा  – कदम्ब

11) पूर्वाफाल्गुनी – पलाश          25) पूर्वाभाद्रपद – निम्ब

12) उत्तराफाल्गुनी – प्लक्ष      26) उत्तराभाद्रपद – आम्र

13) हस्त – अम्बष्ठ                   27) रेवती – मधूक

14) चित्रा – बिल्व

Blog no. –65, Date: 13/9/2016

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