बीजाक्षरों का चमत्कार By Dr. Jitendra Vyas
हमारे शास्त्रों में मंत्र-विधि सर्वोपरि मानी गयी है, ऋषियों व दैवज्ञों ने मंत्र साधना की विस्तृत व्याख्या संहिताओं में की है। लेकिन मंत्रों के साथ बीजाक्षर के प्रयोग पर कोई विशेष ग्रंथ नहीं है यद्यपि विभिन्न संहिताएँ अवश्य मिलती है। बीजाक्षरों की विशेष जानकारी बताने के लिए आज मैंने आप पाठकगण के लिए यह BLOG लिखा है, जो सारे बीजाक्षरों का विस्तृत फलित बताएगा और आपको इससे अद्भूत लाभ होगा। मैंने यहाँ मुख्य रूप से 8 बीजाक्षरों का वर्णन किया है इनके चमत्कारिक फल इस प्रकार है:-
1) ‘ऐं’ :- (i) यदि निम्न रक्तचाप (Low blood pressure) वाला व्यक्ति प्रतिदिन 100 बार ‘ऐं’ का उच्चारण करें तो उसके रक्तचाप में निश्चित ही लाभ होता है।
(ii) जो व्यक्ति या बच्चे हकलातें है वे यदि ‘ऐं’ बीजाक्षर का सिर्फ आधा घण्टा उच्चारण कर लें तो एक माह में हकलाहट की समस्या दूर हो जाती है।
2) ‘बं’ :- (i) ‘बं ओं बं’ का नित्य आधा-आधा घण्टा प्रातः व साँय के समय उच्चारण करने से जातक के जोड़ों का दर्द सही हो जाता है।
(ii) डायबिटीज़ के रोगी को नित्य 1008 ‘बं’ बीजाक्षर का जाप करना चाहिए इससे रोगी को अद्भूत लाभ होता है।
(iii) ऐसे जातक जिन्हें नौकरी या सर्विस में उपयुक्त समय पर प्रमोशन नहीं मिलता है, जो व्यक्ति अपने उच्चाधिकारी से परेशान रहते हैं या ऐसे जातक जिन्हें अच्छी जॉब नहीं मिल रही हो उन्हें नित्य ‘बं’ बीजाक्षर का 1008 बार जप प्रयोग करना चाहिए, यदि नौकरीशुदा व्यक्ति को रोजाना समय नहीं मिलता हो तो उन्हें प्रत्येक बुधवार को पारद गणपति के समक्ष नवग्रह स्थापित कर तथा देशी घी का दीपक प्रज्वलित कर ‘बं ब्रीं बूं’ का जप करें तथा भगवान गणपति को दूध अर्पित करें, उच्च पद लाभ होगा।
3) ‘भं’ :- यह बीजाक्षर देवी भद्रकाली का बीज मंत्र है, इसके जप से माँ प्रसन्न होकर दुख व दरिद्रता का नाश करती है।
(i) जो व्यक्ति गुप्त शत्रु से परेशान है, जिसे भयंकर शत्रु बाधा है ऐसे व्यक्ति को ‘भं’ बीजाक्षर का प्रयोग करना चाहिए। यदि किसी राजनेता का पद भंग हो रहा हो या विपक्ष उसके पीछे पड़ा हो और उससे इस्तीफा मांग रहा हो तो उन्हें ‘ॐ हूं भं भद्रकाली नमः’ का जप कर, विज्ञ ऋत्विज से दशांश हवन में मात्र 108 गुरुमुखी आहुतियाँ दें तो ऐसे जातक के शत्रु स्वयं परास्त हो जाते हैं।
(ii) कुष्ठ रोगी व त्वचा रोगी हल्दी, आम व मेहंदी के बीज को एक साथ पीस कर उसमें गौमूत्र मिला दें, फिर उस मिश्रण को ‘भं’ बीजमंत्र से 1008 बार अभिमंत्रित कर त्वचा पर लगावें, सफल परिणाम मिलेंगे।
(iii) यदि जातक की कुण्डली में राहू ग्रह सप्तम व पंचम में विराजित होकर क्रमश: विवाह, दैनिक आय तथा संतान, उच्च शिक्षा, प्रज्ञा, प्रेम प्रसंग जैसे सभी मामलों में बाधाएँ उत्पन्न कर देता है, ऐसे सारे बिन्दुओं से जनित समस्याओं का निराकरन ‘भं’ बीजाक्षर का 11000 जप करने से हो जाता है।
4) ‘धम’ :- यह सूर्य का बीज मंत्र है। जिन जातकों की कुंडली में सूर्य कमजोर हो तथा वह इससे जनित समस्याओं से ग्रसित हो तो प्रातः काल नित्य 1008 ‘धम’ बीजाक्षर का जप करना चाहिए।
5) ‘खं’ :- जो व्यक्ति शनि ग्रह से पीड़ित हो तो ऐसे जातकों को शनिवार से लगातार 44 दिन ‘खं’ बीजाक्षर का 10 हज़ार बार जप करना लाभप्रद रहता है। जिन्हें लगातार परिश्रम करने पर भी सफलता नहीं मिलती, कहीं कुछ भी काम नहीं हो पाता, उन्हें सूर्योदय से पहले, मात्र 17 मिनट ‘खं’ बीजाक्षर का लगातार 47 दिन जप करना चाहिए। अद्भूत परिणाम मिलेगा।
6) ‘लं’:- यह देवराज इन्द्र का बीजाक्षर है। विभिन्न कारणों से यदि लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में बाधाएँ आ रही हों तो ‘लं’ बीजाक्षर का नित्य सुबह 108 बार उच्चारण करें निश्चित ही बाधाएँ दूर होंगी तथा मनवांछित फल की प्राप्ति होगी।
7) ‘रं’ :- जिन जातकों को सिर से संबन्धित बीमारियाँ हैं जैसे माइग्रेन इत्यादि, तो ऐसे जातक सूर्योदय के समय इस बीजाक्षर का 1008 बार जप प्रयोग करें, तत्काल राहत मिलेगी।
8) ‘थं’ :- इस बीजाक्षर का दिन के किसी भी एक प्रहर में 108 बार जप करने से दोनों रक्तचापों (उच्च/निम्न) की समस्या दूर हो जाती है।
9) ‘यं’ :- ऐसे व्यक्ति जो कानूनी विवाद में बुरी तरह फंस गए हैं, वे नियत तिथि पर कॉर्ट जाने से पूर्व काले व नीले कपड़े पहनकर ‘ॐ यं’ का 11 हज़ार बार जप करें। उनका जल्द ही न्यायपूर्ण फैसला होगा।
BlogNo. 35 Date: 26/6/2015
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