राजनीतिक पद लाभ : ग्रहयोग एवं ज्योतिष by Dr. Jitendra Vyas
राजनीति में आगे बढ़ना वहां इस क्षेत्र में पद प्राप्त करना व प्रमुख स्थान पर पहुंचना राजनीतिक जातकों की यह परम महत्वकांक्षा होती है, कई बड़े राजनीतिज्ञ मुझसे ज्योतिषीय परामर्श लेते रहते है व अधिकतर मेरे उपायों से सफल हुये हैं। आज सकारात्मक राजनीति करने वाले लोग संभवतया पीछे रह गए हैं। आपने देखा होगा कि एक व्यक्ति जो अपने पूरे जीवन को राजनीति में झोंक देता है फिर भी पद प्राप्त नहीं कर पाता और कई लोग कुछ समय में ही अपनी प्रगति कर लेते है इसलिए आज किसी व्यक्ति विशेष का राजनीतिक पद पाना क्षणिक रुपेण उनके लग्न से व पूर्णतया उनके कुण्डली के ज्योतिषीय योगों पर निर्भर करता है। अतः आज मैंने इस BLOG में राजनीतिक पद लाभ के योगों के बारे में चर्चा की है। राजनेता व संगठन के कार्यकर्ता सभी लोग अपने-अपने ग्रहयोगों द्वारा अपने भाग्य की सीमा को जान सकते हैं। कई ऐसे राजनेता मिल जाएंगे जो जन्मे एक राज्य में लेकिन राजनीतिक सफलता दूसरे राज्य में मिली, ऐसे ही जन्मे एक राष्ट्र में राजनीतिक सफलता दूसरे राष्ट्र में प्राप्त की मेरे पास ऐसे कई अनगिनत उदाहरण हैं अतः प्रगति के लिए अपने ग्रहयोगों के साथ इन योगों की जानकारी भी आवश्यक है। मेरे डॉक्टरेट रिसर्च के कूर्मचक्र के अनुसार विश्व में भारत का ज्यादातर भाग वृष, कर्क, तुला, वृश्चिक मकर व कुम्भ राशि व लग्न के क्षेत्र में आता है। लेकिन भारत देश स्वयं कूर्मचक्र से विभाजित करने के पश्चात् यह ज्ञात होता है की कर्क लग्न अपने इस क्षेत्र में ज्यादा प्रभावी रहता है। मेरे इस शोध की पुष्टि यह है की पौराणिक भारत से आज 21वीं सदी के भारत तक अधिकांशतया कर्क लग्नी व्यक्तियों ने ही राज किया है। नेहरू से लेकर, इन्दिरा गांधी, वी.पी. सिंह व आई के गुजराल तक सभी कर्क लग्न के थे। यहाँ तक के डॉ. मनमोहन सिंह के 10साल के शासन काल में अप्रत्यक्ष व प्रत्यक्ष रूप से सोनिया गांधी ने ही शासन किया और वह भी कर्क लग्न की हैं। 67साल के आजाद भारत के इतिहास में 80% शासन काल कर्क लग्नी व्यक्तियों का रहा है।
अब मुख्य चर्चा पर लोटते हैं, राजनीति में आज वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देश, काल व पात्रता भिन्न हो गयी है, अर्थात् सकारात्मक योगों के द्वारा राजनीति में प्रगति करना थोड़ा कठिन है इसके लिए कुण्डली में विपरीत राजयोग, नीचभंग राजयोग इत्यादि राजयोगों की व्यवस्था होनी चाहिए। या फिर परम बली पद्मसिंहासन, गजकेसरी, दंडनायक राजयोग, छत्र योग, शत्रुहंता राजनेता योग, इंद्र योग, केसरी योग, राहुकीर्ति राजयोग, सम्राट योग, राजराजेश्वर योग, कीर्तिदायक राजयोग तथा पंचमहापुरुष राजयोगों की जरूरत होती है राजनीति में शिखर पर पंहुचने के लिए ऐसे कई विभिन्न राजयोग हो और भी हैं लेकिन कुछेक मुख्यराज योगों की चर्चा मैं यहां कर रहा हूँ। पंचमहापुरुष राजयोग शनि ग्रह से शश योग , मंगल ग्रह से रुचक योग , बुध ग्रह से भद्रक योग, गुरु से हंस व शुक्र ग्रह से मालव्य नामक राजयोग बनते हैं लेकिन राजनीति में अधिकतर मंगल, शनि व बुध से बनने वाले पंचमहापुरुष राजयोग धारी ही अधिक सफल रहते हैं। जैसे रुचक पंचमहापुरुष राजयोग व शत्रुहंता राज योग हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी की कुण्डली में है। ऐसे कई अनगिनत राजयोगों की चर्चा हो सकती लेकिन ऐसे कई कुयोग ऐसे भी होते हैं जो की इन राजयोगों की तीव्रता को कम या नष्ट करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति के राजयोग की क्षमता भिन्न-भिन्न होती है अतः व्यक्ति विशेष के राजयोग का आंकलन उनकी कुण्डली अनुसार हो सकता है। राजनीति में सफलता की चाह रखने वाले व्यक्ति को उपरोक्त राजयोगों की आवश्यकता पड़ेगी ही, यदि उनकी कुण्डली में ऐसे राजयोग हैं और वो काम नहीं कर रहे हैं तो उनकी विषमताओं को दूर कर राजयोग भोग सकते हैं। शब्द व स्थान सीमा के कारण मैं आप लोगों को इन राजयोगों से अवगत ही करा पाया हूँ। आप लोग अधिक जानकारी के लिए संपर्क कर सकते हैं। Blog No. 23 Date: 16/5/2015
Dr. Jitendra Vyas (Astrologer)
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