PM Modi’s Kundli

 “भारतीय राजनीति के संभावित भविष्य का विशुद्ध आंकलन: ज्योतिषानुसार”

     भारतीय राजनीति को व उसके प्रादुर्भाव को भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही समझा जा सकता है। किसी भी विषय की समीक्षा के लिए ज्योतिष विषय सर्वोत्तम मापदंड है। देश की राजनीति, राजनीतिक लोग, उच्च पदासीन व्यक्ति व राजनेता ज्योतिष प्रेम के सार्वजनिक प्रचार से प्रायः बचते रहते हैं, लेकिन ज्योतिष से अर्थात् ग्रह नक्षत्रों से तो कोई बच नहीं पाया है।राजनेता हो या अन्य कोई, सभी को भाग्य जानने की जिज्ञासा अवश्य ही होती है, प्रत्येक व्यक्ति उसका रहस्योद्घाटन करना चाहता है अतः वह भविष्य जानने के लिए उत्सुक रहता है, “द्वितीयाद् वै भयं भवति” सूत्रानुसार प्रायः हर प्राणी में, क्षेत्र विशेष में जन्मजात असुरक्षा का भाव रहता है।

ज्योतिष परम पवित्र एवं दिव्य विद्या है। भारतीय मनीषा में विद्या मुक्ति के अर्थ में ग्राह्य रही है “साविद्याया विमुक्तये” वेद के षडाङ्गों – शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छण्द – में इसका (ज्योतिष) एक अति महत्वपूर्ण स्थान सुरक्षित है। यह वेदों के नेत्र के रूप में वर्णित है। इस धरा की निर्मल पवित्रता का प्रमाण वेद है, और इसी पवित्र धारा का अभिन्न अंग ज्योतिर्विज्ञान है, इसी विज्ञान द्वारा यहाँ राजनीति विज्ञान का मर्म समझने का प्रयास किया जायेगा और श्री नरेन्द्र मोदी की कुण्डली में योगा-योग है उसकी चर्चा में इस BLOG में कर रहा हूँ।

भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी की कुंडली व 16/5/2014 वोटों की काउंटिंग वालीकुंडली मे एक अद्भूत संयोग है,PM Modi ji दोनों ही कुंडलियों मे चंद्रमा नीचगत है और परंतु साथ ही वह नीचभंग राजयोग भी बना रहा है। मोदी जी की कुंडली मे लग्नेश मंगल के साथ लग्नस्थ होकर नीचभंग राजयोग बना रहा है।दोनों ही जन्मांगों मे शनि की साढ़ेसाती चल रही है, जिसकी दूसरी ढ्य्या2 नवम्बर 2014 से चल रही है अतः शनि की तृतीय दृष्टि अपनी एक इतर राशि पर है, इसी दूसरी ढ्य्या ने श्री मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाया “फलानिग्रहचारेनसूचयन्तीमनीषिण:” और इसी ने राष्ट्र को सक्षम नेतृत्व दिया अतः तीसरी ढ्य्या का समय भी शानदार जाएगा। मोदी जी की कुंडली मे 26 नवम्बर 2011 के बाद से भाग्येश चंद्रमा की 10 वर्ष की दशा चल रही है, उनके प्रधानमंत्री बनने मे इस दशा की भी बड़ी भूमिका व पात्रता रही है और यह 26 नवंबर 2021 तक चलेगी अतः मेँ आज कहता हूँ कि मोदी जी पूरे 10 साल प्रधानमंत्री रहेंगें और अपने कार्यकाल के दो टर्म पूरे करेंगें क्योंकि यह चन्द्रमा, रुचकपंचमहापुरुष राजयोग कारक लग्नेश मंगल के साथ लग्न मे विराजित है। यथा-

 “तारा ग्रहैर्बल युते: स्व क्षेत्र स्वोच्चगैचतुष्टयगै:।

पञ्च पुरूषा: प्रशस्ता जायन्ते तानहं वक्ष्ये ॥” 

“सुभ्रूकेशो रक्तश्याम: कंबुग्रीवो व्यादीर्घास्य: ।

                                शूर: क्रूर: श्रेष्ठो मंत्री चौरस्वामी व्यायामी च ।।”        -(बृहत्संहिता)

    pm modi ki navmansh kundlimodi ki dashmansh kundliयहाँ मोदी जी के देर से खुले भाग्य व भारत के सर्वोच्च प्रशासनिक पद (प्रधानमंत्री)         पर पहुचनें की चर्चा उनके नवमांश व दशमांश (पद कुण्डली) के बिना अधूरी है।  क्योंकि    मोदी जी की जन्म कुण्डली मे जो रुचक पंचमहापुरुष राजयोग कारक मंगल है, वह    मंगल नवमांश कुण्डली मे कर्क लग्न मे नीचगत स्थित है तथा चन्द्रमा से वियुक्त है  अर्थात् अकेला विराजित है अतः इतनी बली, सुन्दर व योगकारक कुण्डली होते हुए भी  उन्हें 50 वें वर्ष (2001) में राजयोग प्राप्त उसमे भी जब चन्द्रमा की दशा (2011 से)  आयी तो परम राजयोग (प्रधानमंत्री पद) प्राप्त हुआ अतः इन सभी राजयोगों की देरी  नवमांश कुण्डली के कारण हुई।

 

दशमांश कुण्डली (जीवन में पद प्राप्ति की कुण्डली) में भी नवमांश की तरह कर्क लग्न है तथानीचगत मंगल (जन्म कुण्डली का रुचक पंचमहापुरुष राजयोग कारक) है, परन्तु यहाँ यही मंगल अपना नीचभंग कर रहा है, इसीलिए मैनें पहले ही दो बार प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी कर दी है।

 

Regards

Dr. Jitendra Vyas (Astrologer/ Author)

Contact:- 09928391270 Email: dr.jitendra.astro@gmail.com  

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