वशीकरण प्रयोग, इस्लामी तन्त्र व ज्योतिष : एक सार्थक विश्लेषण

वशीकरण प्रयोग, इस्लामी तन्त्र व ज्योतिष : एक सार्थक विश्लेषण by डॉ. पं. जितेन्द्र व्यास    

downloadIMG_20160514_194323मेरे विश्वसनीय शोध में यह निकल के आया है की हमारे ज्योतिष शास्त्र व इस्लामी ज्योतिष में बहुत ही समानता है, यद्यपि सभी शास्त्रों की जननी तो वेदांग ही है। आज मैं इस blog में मेरे पाठकों को वशीकरण से संबन्धित सकारात्मक प्रयोग बतायूंगा जो की इस्लामी तन्त्र व वेदांग ज्योतिष का सम्मिलित रूप है। यह सभी प्रयोग सिद्ध हैं तथा इन सभी प्रयोगों का अनुचित उपयोग न लें। हमारे भारतीय ज्योतिष में 28 नक्षत्र है, अश्विनी से लेकर रेवती तक; इसी प्रकार फारसी भाषा में भी 28 अक्षर होते है “अलिफ से लेकर ये तक” और हम सनातनी तो अक्षर को ब्रह्म मानते हैं अतः फारसी भाषा के ये 28 अक्षर हमारे 28 नक्षत्रों के क्रम में मंत्र स्वरूप हैं जो की जातक के जीवन में महत्वकांक्षायों को पूर्ण करने में परम सहयोगी है।

प्रत्येक जातक एक विशेष नक्षत्र में जन्म लेता है अतः उन नक्षत्रों का लोगों पर प्रभाव भी विशेष फलदायक होता है, हमारे 28 नक्षत्र इन 28 अक्षरों को विपरीत क्रम में प्रभावित करते है जो कि चित्रानुसार समझा जा सकता है, इस विपरीत क्रम में लिखने पर नक्षत्र व अक्षरों का क्रम मिल जाता है तथा  जातक उस अक्षर के मंत्र का जाप करके अपने जीवन में कई सुखों का भोग कर सकता है। (यह सभी मंत्र गुरुमुखी हैं।)

नोट: यह प्रयोग सकारात्मक रूप से करें अन्यथा दुष्परिणाम के तैयार रहें।

अट्ठाईस नक्षत्रों के 28 प्रयोग इस प्रकार है।Nakshtra sarni -1

28) रेवती नक्षत्र में जातक “अलिफ” यंत्र बनाकर लोहबाण की धूनी देकर गुरु के साथ एकग्रह साधना करे तो जीवन में उसे कभी धन की कमी नहीं रहती है, साथ ही किसी का धन कहीं फंस गया हो या रुक गया हो तो वह धन भी शीघ्र प्राप्त हो जाता है।

27) उत्तरा-भाद्रप्रद नक्षत्र में जातक ‘बे’ यंत्र बनाकर साधना करें तो उसे बरोजगारी से व तंगी से छुटकारा मिल जाता है।

26) पूर्वाभाद्रप्रद में ‘तें’ यंत्र सरसों के तेल के काजल से बनाकर सफ़ेद कागज में लपेट दें, धूनी दें, अपने चौक में उसे गाढ़ दें व पूजन करें । इस उपाय से कोई भी व्यक्ति अपनी खोई हुयी प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकता है, इस नक्षत्र में छूटभैया नेता द्वारा किया यह प्रयोग पूर्णकालिक राजनेता बनाने के लिए प्रयोग सिद्ध है।

25) शतभिषा नक्षत्र में जातक ‘से’ मंत्र का 12 बार या 27 बार जप करके किसी भी प्रकार के काम करने के लिए निकाल जाए तो उसके सभी कार्य व मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

24) घनिष्ठा नक्षत्र में जातक ‘जीम’ को 7 से 9 घंटे जप करने के बाद उसकी सभी समस्याओं का रास्ता उसी रात स्वप्न में स्पष्ट दिखाई देने लगता है।

23) श्रवण नक्षत्र में ‘हे’ मंत्र का जप शत्रु को परास्त करता है, तथा उसके कोर्ट केस व पुलिस के मामले सुलझ जाते हैं।

22) किसी प्रेमी या प्रेमिका या किसी भी व्यक्ति को अपने पास बूलाने के लिए ‘अभिजीत नक्षत्र/मुहूर्त’ में ‘खे’ का मंत्र प्रतिदिन दोपहर में जपने से वह स्वतः ही आपके पास लौट आता है।

21) उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे उध्योगपति यदि ‘दाल’ मंत्र का 1000 बार जप करें तो उसके बन्द हुए सभी प्रोजेक्ट व थप हुया व्यापार पुनः त्वरित-गति से चल जाता है।

20) पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जातक यदि ‘जाल’ का मंत्र 702 बार जप करके चाय-कॉफी, मिठाई व बिस्किट खिला दे तो खाने वाला व्यक्ति खलने वाले के वशीभूत हो जाता है।

19) यदि किसी कोई वस्तु खो गई हो या चोरी हो या फिर कहीं रख कर भूल गए तो मूल नक्षत्र में ‘रे’ मंत्र का जाप प्रारम्भ करें, पुनः मूल नक्षत्र आने तक सुपरिणाम मिलेगा।

18) न्यायालय, पुलिस में चल रहे विवादों के छुटकारे के लिए ज्येष्ठा नक्षत्र में ‘जे’ मंत्र का जाप करें तथा भोजपत्र पर इस मंत्र को लिखकर जला दें, शत्रु व उसकी राख को शत्रु के रास्ते में डाल दें, वह हारकर, निराश होकर हाथ खड़े कर देगा। यह प्रयोग शत्रुहंता भी है।

17) शुभाशुभ के पूर्वाभास के अभ्यास के लिए ‘सीन’ मंत्र को प्रतिदिन जपना चाहिए ।

16) विशाखा नक्षत्र में ‘शीन’ मंत्र को सिवइयां की खीर पर 155 बार जपने के बाद बच्चे की कामना वाली निस्संतान स्त्री को खिलाने से उसे शीघ्र ही संतान प्राप्त होती है।

15) स्वाति नक्षत्र में ‘स्वाद’ मंत्र को बच्चे के सामने पढ़ने से उसकी नजर जाती है, बच्चे के दूध को 25 बार अभिमंत्रित कर उसे पिलाने से कई बीमारिया भी दूर हो जाती हैं।

14) चित्रा नक्षत्र में ‘ज्वाद’ का मंत्र पानी से बहरे घड़े को सफ़ेद कपड़े से ढंककर 2 बार पढ़ें मन का दर निकाल जाता है।

13) हस्त नक्षत्र में ‘तोय’ का मंत्र 700 बार जपने से जीवन के सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण हो जाते हैं।

12) उत्तरा-फाल्गुनी में ‘जोय’ मंत्र का जप शत्रुओं से मित्रता कराता है।

11) पूर्वाफाल्गुनी में ‘ऐन’ मंत्र का सास या बहू द्वारा जाप एक दूसरे के वशीभूत या बस में कराता है।

10) मघा नक्षत्र में ‘गैन’ मंत्र को सफ़ेद आक के पत्ते पर सिंदूर से बनाकर अभिमंत्रित करें और शत्रु के रास्ते में गाढ़ दें तो शत्रु का नामोनिशान मिट जाएगा ।

9) जिस व्यक्ति के द्वारा काम अटका हुया है उसका व उसकी माँ का नाम अश्लेषा में कागज पर लिख कर साथ ही उस पर ‘फे’ मंत्र को भी लिखकर जला दें, उस पर इत्र, पुष्प व मिठाई चढ़ा दें। अटका हुए काम जल्दी ही हो जाएगा।

8) पुष्य में सफ़ेद कागज पर शत्रु का नाम व 50 बार ‘काफ’ शब्द लिख दें और जमीन में गाड़ दें, आपके शत्रु की नींद हराम हो जाएगी ।

7) पुनर्वसु में ‘गाफ़’ मंत्र के जाप से ज्ञान प्राप्ति हो सकती है।

6) ‘लाम’ मंत्र का जाप आर्द्रा नक्षत्र में करने से व्यक्ति को लोकप्रियता मिलती है।

5) ‘मीम’ मंत्र को मृगशिरा नक्षत्र में जपने से प्रेमप्रसंग से संबन्धित सभी मामले आपके पक्ष में होकर शांत हो जाते हैं।

4) रोहिणी नक्षत्र में ‘नून’ मंत्र का जाप भी स्वप्न में पूर्वाभास की शक्ति प्रदान करता है।

3) कृतिका में ‘बोव’ मंत्र का जाप मनोवांछित कार्यों में सफलता प्रदान करतें हैं।

2) भरणी में ‘हे’ मंत्र का जाप मनोवांछित कार्यों में सफलता प्रदान करतें हैं।

1) अश्विनी नक्षत्र में ‘ये’ मंत्र का जाप मनोवांछित कार्यों में सफलता प्रदान करतें हैं।

Blog no. 59,Date: 16/5/2016

Contact: डॉ. पं. जितेन्द्र व्यास

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