रोग उपचार में मंत्र तथा वास्तु सहायक blog written by Dr. Jitendra Vyas
आज के तेज समय में विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ आ गयी है, जिससे आपके आस-पास में कोई न कोई रोगग्रस्त हो ही जाता है। किसी का रोगी होना उसके जन्मांग के दूषित प्रभाव के कारण ही होता है, परंतु जन्मांग के साथ अन्य उपाय (वास्तु तथा मंत्र) पर भी ध्यान दिया जाए तो भी शुभ फलित पर प्रभाव पड़ता है। अतः रोगी के मंत्रोचार व वास्तु उपायों को बताने के लिए ही आज मैंने अपने पाठकों के लिए ये ब्लॉग लिखा है।
जब कोई जातक रोगग्रस्त हो जाए तो उस जातक को घर में उत्तरी, ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में स्थित कमरे में पूर्व की ओर सिर करके सुलाना चाहिए साथ ही वहाँ किसी टेबल को रख कर उस पर दवाई इत्यादि तथा तांबे के पात्र में जल भर कर रख देना चाहिए। ऐसा करने से जल एवं दवा में प्राण ऊर्जा का समन्वय हो जाता है, और औषधि शीघ्र ही फलदायी हो जाती है।
जब ईशान में रखी औषधि का अतिशीघ्र लाभ प्राप्त करने के लिए जातक को ईशान कोण में ही मुख करके अपने इष्ट का ध्यान करके निम्न मंत्र का शुद्ध उच्चारण करते हुये औषधि ली जाए तो वह चमत्कारिक असर करती है।
मंत्र :-
शरीरं च नवच्छिद्रम् व्याधि ग्रस्तं निरंतम् ।
औषधम् जाह्नवी तोयं वेध्यो नारायणों हरिः ॥
ॐ अच्युत्याय नमः ॐ अनन्ताय नमः ॐ गोविन्दाय नमः ॥
किसी व्यक्ति को सामान्य रोग या कोई भी मानसिक रोग हो (मतिभ्रम, तनाव, मिरगी, माईग्रेन, प्रमाद इत्यादि) तथा सभी असाध्य रोग (मूत्रकृच्छ, रक्तचाप सरीखे) सर्व व्याधि नाशक मंत्र को करें, सर्व प्रथम दो तांबे के पत्र ले लें, एक में जल और दूसरा खाली रखें। इस निम्नलिखित मंत्र को 108 बार करें, विधि यह है कि एक मंत्र करने के पश्चात भरे हुये पात्र में से एक चम्मच जल खाली पत्र में डालें, इस प्रकार 108 मंत्रों करते हुये यह क्रियाविधि पूर्ण करें। तत्पश्चात यह जल रोगी जातक को पीला दें, जातक आश्चर्यजनक रूप से ठीक हो जाता है।
मंत्र :-
वायुर्यमोअग्निर्वरुण शशांकः ।
प्रजापतिस्त्वं प्रवितामहश्च ॥
नमो नमस्तेअस्तु सहस्त्रकृत्वः ।
पुनश्च भूयोअपि नमो नमस्ते ॥
अगर किसी जातक को ऊपरी बाधा(परनोरमल अटेक) कि समस्या हो, कोई गंभीर रोग हो, त्रिशांश कुण्डली में अकालमृत्यु और असाध्य रोग कि संभावना हो, बार-बार दुर्घटना होती हो, लम्बे स्वस्थ जीवन कि कामना हो तो जातक को स्नानादि से निवृत होकर हनुमान जी कि मूर्ति के सामने धूप-दीप, चन्दन, लाल पुष्प, अक्षत से पुजा करके, पूर्वाभिमुख हो कर निम्न मंत्र कि 5 माला प्रतिदिन करें तो जातक स्वस्थ, निरोग, भयहीन और दीर्घायु प्राप्त करता है।
मंत्र :-
अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषण।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविनः ।।
सप्तैतान् संस्तरेनित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम् ।
जीवेत् वर्षशतं सोअपि सर्व व्याधिविवर्जित ॥
Blog no. 70, Date:- 26/10/2016
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