राजस्थान कॉंग्रेस का किंग कौन? सचिन पायलट या अशोक गहलोत blog written by Dr. Jitendra Vyas
इस वर्ष नवम्बर 2018 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, सभी कांग्रेसी एक यक्ष प्रश्न प्रतिदिन मुझसे पूछते रहते हैं? कि आगामी राजस्थान चुनावों के परिप्रेक्ष्यमें कॉंग्रेस पार्टी की दलीय राजनीति में सचिन पायलट का वर्चस्व रहेगा या फिर अशोक गहलोत का ??? चुनाव किसके नेतृत्व लड़ा जाएगा, टिकट देनी की प्रक्रिया में कौन आगे रहेगा, आइए मेरे ब्लॉग से ये जानते हैं, मेरे स्वतंत्र आंकलन में कि इस चुनावी गणित में किसके ग्रह किसे मात दे रहे हैं।
देखिये चुनावी गणित जातकों की कुण्डलियों के योग पर तो आधारित होते ही हैं, परन्तु जातक का तात्कालिक दशाकाल और गोचर समय भी उतना ही महत्व रखता है। उसी दृष्टि से हम दोनों जन्मांगों का आंकलन करेंगे । सचिन पायलट का जन्माङ्ग मिथुन लग्न का एवं मिथुन राशि है, मैंने कई नेताओं की कुण्डलीयां का विश्लेषण किया लेकिन कुछेक कुण्डलियां ही “यूप” नामक नाभस योग की देखी गयी है, लेकिन सचिन जी की कुण्डली यूप योग धारी है। इस योग से अधिकृत जातक बली, राजा, विशिष्ट कुल का, स्व और पर रक्षा में लीन और व्रत नियम को पूर्ण करने वाला होता है। यथा:-
आत्मनि रक्षानिरतस्त्यागयूतो वित्तसौख्यसम्पन्न: ।
व्रतनियमसत्यनिरतो यूपे जातो विशिष्टश्च ॥
इसके अतिरिक्त जन्मांग में कई और भी राजयोग है, लेकिन चुनाव के परिप्रेक्ष्य से दशम भाव में उच्चगत राहू (पाराशर अनुसार) है, दशमेश गुरु स्वयं केंद्र में “गजकेसरी राजयोग” बना रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण तृतियेश सूर्य का स्वगृही होना है, क्योंकि तृतियेश ही आपके पद का बल है, वहाँ वक्री बुध पद के बल के फल को अनन्त करेगा, चूंकि अभी 7/7/2016 से 16/3/2019 तक शनि में बुध की अंतर्दशा चलेगी और दोनों चुनाव (विधानसभा और लोकसभा) इसी समय में है । तृतीय भाव में सूर्य, बुध के साथ भाग्येश (शनि) भी विराजित है, जो की कुण्डली को भाग्य बली बना रहा है और “विपरीत राजयोग” का निर्माण भी कर रहा है, ध्यान रहे राजनीति में विपरीत राजयोग का मुख्य स्थान है, साथ पिता की हानि के साथ अर्थात पिता की मृत्यु के बाद ही जातक के उत्थान की पटकथा लिख रहा है। दशमांश कुण्डली में भी दशमेश (गुरु) “पद्मसिहांसन योग” बन रहा है, वह भी जातक के अभ्युदय के लिए उत्तरदायी होगा । अक्टूबर से शनि का गोचर जातक के सप्तम भाव (धनु राशि) रहेगा और जो शनि की मूल त्रिकोण की राशि कुम्भ पर दृष्टि डालेगा जब भी भाग्येश भाग्य भाव को देख लें तो उस गोचर काल में भय वृद्धि सुनिश्चित हो जाती है। गुरु का गोचर अभी यहाँ (9/2017) से एक भाग्य भाव को देख रहा है, तत्पश्चात चुनाव के समय जातक के दशम (पद) को देखेगा। अतः स्थितियाँ और सकारात्मक होंगी।
अशोक गहलोत की कुण्डली एक अद्भूत एवं दर्शनीय कुण्डली है, लेकिन जैसे मैंने पहले भी कहा कि तात्कालिक समय किसी भी जातक के उस समय के कालखण्ड को परिभाषित करता है। इनका भी जन्माङ्ग मिथुन लग्न का है, जातक की यह कुण्डली एक अद्वितीय चक्र है, जहां दशम गुरु से “हंस” पंचमहापुरुष राजयोग और “पद्मसिंहासन योग”, वहीं चन्द्र की युति से “गजकेसरी योग” है। तृतीयेश उच्चगत है एकादश भाव में, साथ स्वगृही मंगल भी स्थित है। चूंकि दोनों जातकों के मिथुन लग्न होने से गोचरीय प्रभाव लगभग एक सा ही होगा, लेकिन नवम राहू सदा ही इनके लिए हानि कारक रहा है और रहेगा। जातक अभी मंगल कि मारक दशा चल रही है, एकादशेश और षष्ठेश मंगल जातक को नवम्बर 2012 से चल रहा है, जो कि नवम्बर 2019 तक चलेगा, ध्यान रहे इसी समय में पिछले विधानसभा(2013), लोकसभा(2014) चुनाव हुये, साथ ही इसी मंगल कि दशा में आने वाले विधानसभा(2018) और लोकसभा(2019) चुनाव होंगें। इनका यह समय “मारकेश” का रहेगा, आमजन तो क्या तथाकथित ज्योतिषी भी मारकेश शब्द का गलत अर्थ निकालते हैं, मारकेश का अर्थ उस केवल उस मृत्यु से ही नहीं जो जीवन समाप्त कर देती हैं, इसका अर्थ इसके अलावा उन (7) प्रकार की मृत्यु से जो प्रत्येक जातक अपने जीवन में किसी न किसी समय पर भोगता रहता है, अतः शास्त्र अनुसार मृत्यु के 8 प्रकार हैं :- यथा
व्यथा दुखं भयं लज्जा, रोग शोकस्तथैव च ।
मराणम् चापमानं च मृत्युरष्टविध: स्मृत: ॥
अर्थात जातक के लिए 1) व्यथा (निरंतर चिंता, क्लेश), 2) शत्रुओं से घिरा रहना, 3) हमेशा शत्रुओं से भयभीत और पराजित होना, 4) प्रत्येक स्थान पर लज्जित होना, 5) अनवरत शोक संतप्त रहना 6) मरनासन्न होना 7) भरी सभा और जनता के सामने अपमानित होना 8) शरीर से प्राण निकालना, यह आठों मृत्यु के रूप हैं। अतः यह स्वयं सिद्ध है, कि इस दशा में इनके दल जहां जहां इनको जिस प्रदेश का चुनावी नेतृत्व सौंपा वहा परिणाम अनूकूल नहीं रहा, यदि आगामी राजस्थान के चुनावों में इनको बागडोर सौंपी जाती है तो कॉंग्रेस पार्टी के लिए परिणाम विपरीत रहेगी ।
पिछले विधानसभा चुनाव में इनको मंगल में राहू कि अंतर्दशा (9/4/2013 से 26/7/2013) चल रही थी, जो कि पीड़ादायक थी, अच्छी स्थिति में होते हुये भी जातक चुनाव हारा। आज मंगल में शुक्र का अंतर चल रहा है, जो कि 6/10/2017 से 6/12/2018 तक चलेगा, मेरे गणित अनुसार यह आभासी राजबंधन की दशा रहेगी, क्योंकि शुक्र यहाँ मंगल के अधीन है, इस दशा में जातक विदेश में जाकर समय व्यतीत करता है(अर्थात अपनी जन्मभूमि एवं कर्मभूमि से दूर), राजभय, व्याधि, दुख इत्यादि का भोग दिखाई दे रहा है। इस समय के समाप्ति तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। अतः समय सही नहीं रहेगा। कूल मिलाके इनको मंगल सत्ता से दूर रखने में सफल होगा।
आपके प्रश्न आमंत्रित हैं,,
नोट:- आंकलन उपलब्ध कुंडलियों पर आधारित है।
Blog no. 120,Date:- 17/6/2018
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