गुंजा बीज के तांत्रिक प्रयोग से बनाएँ जीवन समृद्ध by जितेन्द्र व्यास
गुंजा एक फली का बीज है। इसको धुंघची, रत्ती आदि नामों से जाना जाता है। इसकी बेल काफी कुछ मटर की तरह ही लगती है किन्तु अपेक्षाकृत मजबूत काष्ठीय तने वाली होती है । इसे अब भी कहीं कहीं आप सुनारों की दुकानों पर देख सकते हैं। कुछ वर्ष पहले तक सुनार इसे सोना तोलने के काम में लेते थे क्योंकि इनके प्रत्येक दाने का वजन लगभग बराबर होता है करीब 120 मिलीग्राम। ये हमारे जीवन में कितनी बसी है इसका अंदाज़ा मुहावरों और लोकोक्तियों में इसके प्रयोग से लग जाता है।यह तंत्र शास्त्र में जितनी मशहूर है उतनी ही आयुर्वेद में भी। आयुर्वेद में श्वेत गूंजा का ही अधिक प्रयोग होता है औषध रूप में साथ ही इसके मूल का भी जो मुलैठी के समान ही स्वाद और गुण वाली होती है। इसीकारण कई लोग मुलैठी के साथ इसके मूल की भी मिलावट कर देते हैं।वहीं रक्त गूंजा बेहद विषैली होती है और उसे खाने से उलटी दस्त पेट में मरोड़ और मृत्यु तक सम्भव है। आदिवासी क्षेत्रों में पशु पक्षी मारने और जंगम विष निर्माण में अब भी इसका प्रयोग होता है।
गुंजा की तीन प्रजातियां मिलती हैं:-
1• रक्त गुंजा: लाल काले रंग की ये प्रजाति भी तीन तरह की मिलती है जिसमे लाल और काले रंगों का अनुपात 10%, 25% और 50% तक भी मिलता है।ये मुख्यतः तंत्र में ही प्रयोग होती है।
2. श्वेत गुंजा : श्वेत गुंजा में भी एक सिरे पर कुछ कालिमा रहती है। यह आयुर्वेद और तंत्र दोनों में ही सामान रूप से प्रयुक्त होती है। ये लाल की अपेक्षा दुर्लभ होती है।
3. काली गुंजा: काली गुंजा दुर्लभ होती है, आयुर्वेद में भी इसके प्रयोग लगभग नहीं हैं हाँ किन्तु तंत्र प्रयोगों में ये बेहद महत्वपूर्ण है।
4• वर-वधू के लिए :विवाह के समय लाल गुंजा वर के कंगन में पिरोकर पहनायी जाती है। यह तंत्र का एक प्रयोग है, जो वर की सुरक्षा, समृद्धि, नजर-दोष निवारण एवं सुखद दांपत्य जीवन के लिए है। गुंजा की माला आभूषण के रूप में पहनी जाती है।
5• पुत्रदाता :शुभ मुहुर्त में श्वेत गुंजा की जड़ लाकर दूध से धोकर, सफेद चन्दन पुष्प से पूजा करके सफेद धागे में पिरोकर। “ऐं क्षं यं दं” मंत्र के ग्यारह हजार जाप करके स्त्री या पुरूष धारण करे तो संतान सुख की प्राप्ती होती है।
(क) आप जिस व्यक्ति का वशीकरण करना चाहते हों उसका चिंतन करते हुए मिटटी का दीपक लेकर अभिमंत्रित गुंजा के ५ दाने लेकर शहद में डुबोकर रख दें. इस प्रयोग से शत्रु भी वशीभूत हो जाते हैं. यह प्रयोग ग्रहण काल, होली, दीवाली, पूर्णिमा, अमावस्या की रात में यह प्रयोग में करने से बहुत फलदायक होता है.
(ख) गुंजा के दानों को अभिमंत्रित करके जिस व्यक्ति के पहने हुए कपड़े या रुमाल में बांधकर रख दिया जायेगा वह वशीभूत हो जायेगा. जब तक कपड़ा खोलकर गुंजा के दाने नहीं निकले जायेंगे वह व्यक्ति वशीकरण के प्रभाव में रहेगा.( गुंजा की माला गले में धारण करने से सर्वजन वशीकरण का प्रभाव होता है.
7• विद्वेषण में प्रयोग : किसी दुष्ट, पर-पीड़क, गुण्डे तथा किसी का घर तोड़ने वाले के घर में लाल गुंजा – रवि या मंगलवार के दिन इस कामना के साथ फेंक दिये जाये – ‘हे गुंजा ! आप मेरे कार्य की सिद्धि के लिए इस घर-परिवार में कलह (विद्वेषण) उत्पन्न कर दो’ तो आप देखेंगे कि ऐसा ही होने लगता है।
8• विष-निवारण : गुंजा की जड़ धो-सुखाकर रख ली जाये। यदि कोई व्यक्ति विष-प्रभाव से अचेत हो रहा हो तो उसे पानी में जड़ को घिसकर पिलायें।इसको पानी में घिस कर पिलाने से हर प्रकार का विष उतर जाता है।
9• दिव्य दृष्टि :-
(क) अलौकिक तामसिक शक्तियों के दर्शन : भूत-प्रेतादि शक्तियों के दर्शन करने के लिए मजबूत हृदय वाले व्यक्ति, गुंजा मूल को रवि-पुष्य योग में या मंगलवार के दिन- शुद्ध शहद में घिस कर आंखों में अंजन (सुरमा/काजल) की भांति लगायें तो भूत, चुडैल, प्रेतादि के दर्शन होते हैं।
(ख) गुप्त धन दर्शन :अंकोल या अंकोहर के बीजों के तेल में गुंजा-मूल को घिस कर आंखों पर अंजन की तरह लगायें। यह प्रयोग रवि-पुष्य योग में, रवि या मंगलवार को ही करें। इसको आंजने से पृथ्वी में गड़ा खजाना तथा आस पास रखा धन दिखाई देता है।
10• शत्रु में भय उत्पन्न : गुंजा-मूल (जड़) को किसी स्त्री के मासिक स्राव में घिस कर आंखों में सुरमे की भांति लगाने से शत्रु उसकी आंखों को देखते ही भाग खड़े होते हैं।
11• शत्रु दमन प्रयोग : यदि लड़ाई झगड़े की नौबत हो तो काले तिल के तेल में गुंजामूल को घिस कर, उस लेप को सारे शरीर में मल लें। ऐसा व्यक्ति शत्रुओं को बहुत भयानक तथा सबल दिखाई देगा। फलस्वरूप शत्रुदल चुपचाप भाग जायेगा।
12• रोग – बाधा
(क) कुष्ठ निवारण प्रयोग : गुंजा मूल को अलसी के तेल में घिसकर लगाने से कुष्ठ (कोढ़) के घाव ठीक हो जाते हैं।
(ख)अंधापन समाप्त : गुंजा-मूल को गंगाजल में घिसकर आंखों मे लगाने से आंसू बहुत आते हैं।नेत्रों की सफाई होती है आँखों का जाल कटता है।देशी घी (गाय का) में घिस कर लगाते रहने से इन दोनों प्रयोगों से अंधत्व दूर हो जाता है।
(ग) वाजीकरण:- श्वेत गुंजा की जड को गाय के शुद्ध घृत में पीसकर लेप तैयार करें। यह लेप शिश्न पर मलने से कामशक्ति की वृद्धि के साथ स्तंभन शक्ति में भी वृद्धि होती है।
13: नौकरी में बाधा: राहु के प्रभाव के कारण व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो तो लाल गुंजा व सौंफ को लाल वस्त्र में बांधकर अपने कमरे में रखें।
Blog no. 82,Date: 18/11/2016
सम्पर्क: डॉ. जितेन्द्र व्यास 9928391270