प्रॉपर्टी व्यवसाय, टाउनशिप व भूमियोग: ज्योतिषानुसार

प्रॉपर्टी व्यवसाय, टाउनशिप व भूमियोग: ज्योतिषानुसार By Dr. Jitendra Vyas

pic bhoomiआज के वैश्विक समाज में प्रत्येक व्यक्ति के पास उनके क्षमता व सामर्थ्य अनुसार काम की कमी है, यह सत्य है। यदि कोई भी जातक अपनी क्षमता को अक्ष न मानकर, महत्वकांक्षा रहित किसी भी कार्य को करने के लिए तैयार रहे तो ठीक अन्यथा बैरोजगारी बढ़ जाती है। वहां जातकगण को अपनी या  अपनी पैतृक जमापूँजी से कोई व्यवसाय करना ही एकमात्र उपाय दिखता है। अतः आप लोग देखते होंगे कि प्रत्येक वह व्यक्ति जिसके पास कुछ काम नहीं है, उसे यह पूछने पर कि आजकल क्या कर रहे हो? तो वह यही कहता है कि मेरा तो प्रॉपर्टी का व्यवसाय है। यह एक विचित्र योग है चूंकि वह व्यक्ति प्रयास भी कर रहा है परन्तु सफलता नहीं मिल रही, डील फ़ाइनल नहीं हो पाती, प्रोजेक्ट्स अटक जातें हैं, धन फँस जाता है। इसी योग के विचित्र चरित्र को उजागर करने के लिए ही आज मैंने जमीन व्यवसाय से जुड़े कुछ योग बताएं हैं। इस Blog में प्रॉपर्टी, टाउनशिप व भूमि बीजिनेस इत्यादि के कुछ विशेष योगों की चर्चा की है, यहाँ मैंने यह बताया कि किस व्यक्ति को भूमि व्यवसाय से लाभ है और किसे नहीं! किसे टाउनशिप इत्यादि तैयार करके बेचने पर ही लाभ होगा, ऐसे कई और भी विषय हैं जो की प्रासंगिक हैं। जिनका आज के भौतिक परिप्रेक्ष्य में आंकलन करना अनिवार्य है। मेरे पास कई बड़े भू-व्यवसायी नियमित तौर से अपने शंका लेकर आते रहते हैं, और कई इसलिए आते हैं कि इस क्षेत्र में जाए या न जाएँ। मेरा सभी से यही कहना है कि कुण्डली में सभी योगों की विधिवत वैदिक व्यवस्था होती है, योग-भोग जानकर ही इस व्यवसाय में प्रवृत्त होना चाहिए। संहिताओं में बताया गया है कि कालपुरुष की कुण्डली में चोथा भाव भूमि व इनसे जुड़े लाभ का होता है तथा द्वितीय व दशम भाव से यह पता चलता है कि कितना बड़ा प्रॉपर्टी डीलर होगा।

1) प्रॉपर्टी व्यवसाय(भूमि विक्रेता) के योग:- यदि चतुर्थ भाव का स्वामी, द्वितीय भाव (Second house) में विराजित होकर, शत्रुक्षेत्री, नीचगत हो तो व्यक्ति बड़ा भूमि व्यवसायी होता है। ऐसा जातक भूमि का क्रय-विक्रय(खरीदना-बेचना) कर लाभ कमाता है। यथा- “गेहेशेअर्थे सपापे निचारिभे भूमिविक्रेता”। और यदि चतुर्थ भाव का स्वामी उच्च व द्वितीय भाव का स्वामी कोई पापग्रह हो तथा वही द्वितीयेश निचराशि या शत्रुराशी में हो तो जातक भूमि का व्यवसाय कर बड़ा प्रॉपर्टी डीलर बनता है। अन्यत्र योग यदि हो तो वह दशा व गोचरीय व्यवस्था से बनते हैं जो पूर्णकालिक नहीं होते।

2) टाऊनशिप बनाने का योग:- लग्नेश, चतुर्थेश व द्वितीयेश इन तीनों ग्रहों में से जिनते ग्रह केन्द्र व त्रिकोण में होते हैं, व्यक्ति उतने ही घर बनाता है। अर्थात् बड़ी टाउनशिप, कॉम्प्लेक्स में अनेकानेक घर बनाकर बेचता है और खूब लाभान्वित होता है। इसी प्रकार लाभेश(11thhouse का स्वामी), द्वितीयेश व चतुर्थ स्थान में हो व चतुर्थेश वैशेषिकांश(उच्च अंश में) में हो तथा चतुर्थ भाव में शुभग्रह विराजित हो या शुभ ग्रहों कि दृष्टि उनपर हो तो जातक कई टाउनशिप, कॉम्प्लेक्स का मालिक होता है।

आजकल किसी ओर की भूमि पर कब्जा कर लेना आम बात है, ऐसे कई प्रसंग मेरे सामने आते हैं, यह भी एक योग वश ही होता है, यदि कुण्डली में षष्ठ भाव का स्वामी, चतुर्थ भाव में और चतुर्थ भाव का स्वामी, षष्ठ भाव में विराजित होकर अंतरपरिवर्तन राजयोग का निर्माण करे तो तथा षष्ठेश की अपेक्षा चतुर्थेश अधिक बली हो तो ऐसा जातक येन-केन-प्रकारेण अपने शत्रु या Rival से भूमि प्राप्त करता है और व्यवसाय में आगे बढ़ता है। जातकों प्रत्येक मनुष्यों की कुण्डली में भूमि व्यवसाय से जुड़े कई विशेष समीकरण होते हैं, जिनका भोग वह भोगते हैं। ध्यान रहे कि व्यक्ति विशेष की कुंडली में भिन्न-भिन्न योग होते है जो कि व्यक्तिगत तौर पर जाने और समझे जा सकतें हैं। यहाँ तो तो मैंने आपको मात्र योगों के बनने कि पृष्ठ-भूमि बताई है। इस विषय से संबन्धित सभी समस्याओं के समाधान के लिए संपर्क कर सकते हैं।

 

Blog no. 31 Date: 9/6/2015

Dr. Jitendra Vyas(Astrologer)

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