बिल्व पत्र का वास्तु शास्त्र by डॉ. जितेन्द्र व्यास
आज मैंने भगवान शिव के अत्यंत प्रिय “बिल्व पत्र” के पर्यावरण वास्तु रहस्य को उजागर करने के लिए यह blog लिखा है, बिल्व पत्र में कई अद्भूत रहस्य हैं, जिनको जाने बिना हम सनातन सृष्टि के रचयिता शिव के आशीर्वाद से विमुख रह सकते हैं। “बेल या बिल्व पत्र क्या है?” ‘रोगान् बिलति भिन्नति’ – जो सभी प्रकार के रोगों व कष्टों का नाश करे। आप बिल्व पत्र के विधिवत प्रयोग सभी समाधान पा सकते हैं। इसका पत्ता, छाल, जड़, फल और लकड़ी सभी औषधि, कर्मकाण्ड, ज्योतिषीय उपायों में प्रयोग होता है। बेल पत्र को संस्कृत में “श्रीफल” भी कहा गया है। कम ही लोगों को पता होगा की बिल्व वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु एवं अग्रभाग में स्वयं शिवजी का निवास होता है, यह बिल्व-फल लक्ष्मी जी के स्तन से उत्पन्न हुआ और महादेव जी का अत्यंत प्रिय वृक्ष है।
मनुष्य इसका उपयोग ग्रहों के प्रकोप की शांति के लिए कर सकता है, क्योंकि इसमें भगवान शिव का अंश है, अतः ग्रहों का उपद्रव शांत होगा ही। राहु, शनि, मंगल व केतू की दशा यदि अनिष्ट कारक बनी हुयी हो तो शनिवार के दिन गुरुमुखी मंत्र को बेल पत्र पर लिख कर भगवान शिव को काले तिलों के साथ अर्पित कर दें, तो अनिष्टकारी दशाओं का प्रकोप शांत हो जाता है, यह कार्य कुल सात शनिवार करना चाहिए।
यदि कोई जातक ‘बिल्वाष्टकम्’ को पढ़ते हुये 108 बेल पत्र शिवजी को चढ़ाएँ तो व्यक्ति अनन्त धन व ऐश्वर्य को प्राप्त करता है, जो की सोमयज्ञ, अश्वमेघ एवं सेकड़ों वाजपेय यज्ञ के करने से मिलता है।
1) श्रीयज्ञ में तथा लक्ष्मी संबंधी यज्ञ में समिधा की जगह बिल्व फल के टुकड़ों का हवन करना चाहिए, यज्ञ की पूर्णाहूति के समय बिल्व फल की आहुति अत्यंत शुभ मानी गयी है। नए घरमें प्रवेश पूर्व यदि बिल्व वृक्ष को पूर्व या ईशान कोण की तरफ लगा देने से घर के लगभग सभी दोष समाप्त हो जाते हैं।
2) बेल का कच्चा गुदा खिला देने से स्त्री को प्रसव पीड़ा बहुत कम हो जाती है।
3) बेल का बाहरी आवरण का चूर्ण बनाकर खाने से व्यक्ति के पेट के सभी रोग तथा बवासीर पूरी तरह से समाप्त हो जाता है।
4) बच्चे को नजर से बचाने के लिए उसके बिस्तर के नीचे बेलपत्र रख दें या बेल की छाल को बच्चे के शरीर पर धीरे-धीरे सात बार मारने से नजर उतार जाती है।
5) बेल की बाहरी आवरण के एक टुकड़े को बच्चे के कमर पर बांधने से उसके दांत निकलने को प्रक्रिया सुगम हो जाती है, उसका बुखार उतर जाता है, दस्त बंध हो जाती है,
6) यदि कोई Paranormal समस्या से पीड़ित हो तो उसे बेल का शर्बत (प्रक्रिया गुरुमुखी) पीला देने से प्रेत बाधा और ऊपरी हवा से मुक्ति मिल जाती है।
Blog no. 64, Date: 9/9/2016
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