मन्त्र जप के नियम by डॉ. जितेन्द्र व्यास
मन्त्र जप नियम के लिए आज का ब्लॉग आपके समक्ष प्रस्तुत है, मंत्र तो हम सभी जपते है लेकिन, अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो वे मंत्र हमारे लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं- जप तीन प्रकार का होता है-वाचिक, उपांशु और मानसिक वाचिक जप धीरे-धीरे बोलकर होता है उपांशु-जप इस प्रकार किया जाता है जिसे दूसरा न सुन सके और मानसिक जप मेंजीभ और ओष्ठ नहीं हिलते है-तीनों जपों में पहले की अपेक्षा दूसरा और दूसरेकी अपेक्षा तीसरा प्रकारश्रेष्ठ है-प्रातःकाल दोनों हाथों को उत्तान कर, सायंकाल नीचे की ओर करके तथा मध्यान्ह में सीधा करके जप करना चाहिए प्रातःकाल हाथ को नाभि के पास, मध्यान्ह में हृदय के समीप और सायंकाल मुँह के समानांतर में रखे-घर में जप करने से एक गुना, गौशाला में सौ गुना, पुण्यमय वन या बगीचे तथा तीर्थ में हजार गुना, पर्वत पर दसहजार गुना, नदी-तट पर लाख गुना, देवालय में करोड़ गुना तथा शिवलिंग के निकट अनंतगुना फल प्राप्त होता है- जप की गणनाके लिए लाख, कुश, सिंदूर और सूखे गोबर को मिलाकर गोलियाँ बना लें-जप करते समय दाहिने हाथ को जपमाली में डाल लें अथवा कपड़े से ढँकलेना आवश्यक होता है-जप के लिए माला को अनामिका अँगुली पर रखकर अँगूठे सेस्पर्श करते हुए मध्यमा अँगुली सेफेरना चाहिए-सुमेरु का उल्लंघन न करें और तर्जनी न लगाएँ-सुमेरु के पास से मालाको घुमाकर दूसरी बार जपें-
ये भी आप ध्यान रक्खे- जप करते समय हिलना, डोलना, बोलना, क्रोध न करें, मन में कोई गलत विचार या भावना न बनाएँ अन्यथाजप करने का कोई भी फल प्राप्त न होगा-शास्त्रों के मुताबिक मंत्रों का जप पूरीश्रद्धा और आस्था से करना चाहिए। साथही, एकाग्रता और मन का संयम मंत्रों के जप के लिए बहुत जरुरी है-माना जाता है कि इनके बिना मंत्रों की शक्ति कम होजाती है और कामना पूर्ति या लक्ष्यप्राप्ति में उनका प्रभाव नहीं होता है-यहां मंत्र जप से संबंधित 12 जरूरी नियम और तरीके बताए जा रहे हैं जो गुरु मंत्र हो या किसी भी देवमंत्र और उससे मनचाहे कार्य सिद्ध करने के लिएबहुत जरूरी माने गए हैं-माला जप के जरुरी 12 नियम-विशेष-कुछ विशेष कामनों की पूर्ति के लिए विशेष मालाओं से जप करने का भी विधान है-जैसे धन प्राप्ति की इच्छा से मंत्र जपकरने के लिए मूंगे की माला, पुत्र पानेकी कामना से जप करने पर पुत्रजीवक के मनकों कीमाला और किसी भी तरहकी कामना पूर्ति के लिए जप करने पर स्फटिक की माला का उपयोग करें-इस प्रकार की संस्कारित माला और नियम आपको अवस्य ही फल प्रदान करते है- उपाय और प्रयोग मंत्रों का पूरा लाभ पाने के लिए जपके दौरान सही मुद्रा याआसन में बैठना भीबहुत जरूरी है इसके लिए पद्मासन मंत्र जप के लिए श्रेष्ठ होता है इसके बादवीरासन और सिद्धासनया वज्रासन को प्रभावी माना जाता है –
1.मंत्र जप के लिए सहीवक्त भी बहुतजरूरी है इसके लिएब्रह्ममूर्हुत यानीतकरीबन 4 से 5 बजेया सूर्योदय से पहले का समयश्रेष्ठ माना जाता है -प्रदोष कालयानी दिन का ढलना औररात्रि के आगमन का समयभी मंत्र जप के लिएउचित माना गया है –
2. अगर यह वक्त भी साध न पाएं तो सोने से पहले कासमय भी चुना जा सकताहै –
3. मंत्र जप प्रतिदिन नियत समय परही करें –
4. एक बार मंत्र जप शुरु करने के बादबार -बार स्थान न बदलें, एक स्थाननियत कर लें –
5. मंत्र जप में तुलसी,रुद्राक्ष , चंदन या स्फटिककी 108 दानों की माला का उपयोग करें -यह प्रभावकारी मानी गई है –
6. किसी विशेष जप केसंकल्प लेने के बाद निरंतरउसी मंत्र का जपकरना चाहिए –
7. मंत्र जप के लिएकच्चीजमीन ,लकड़ी कीचौकी , सूतीया चटाई अथवा चटाई के आसन परबैठना श्रेष्ठ है -सिंथेटिक आसन पर बैठकर मंत्र जप से बचें-
8. मंत्र जप दिन में करें तो अपना मुंहपूर्व या उत्तर दिशा में रखें और अगर रात्रि में कर रहे हैं तो मुंह उत्तर दिशा में रखें.
9. मंत्र जप के लिए एकांत और शांतस्थान चुनें- जैसे- कोई मंदिर या घर का देवालय
10. मंत्रों का उच्चारण करते समययथासंभव माला दूसरों को न दिखाएं -अपने सिर को भी कपड़ेसे ढंकना चाहिए –
11. माला का घुमाने के लिए अंगूठे औरबीच कीउंगली का उपयोग करें -माला घुमाते समय माला के सुमेरूयानी सिर को पारनहीं करना चाहिए,जबकि माला पूरी होने पर फिर से सिर से आरंभ करना चाहिए ।
Blog no. 77,Date: 12/11/2016
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डॉ. जितेन्द्र व्यास
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