अनुरक्त अर्थात् सद्गुणी स्त्रियों के लक्षण
आज इस BLOG में मैंने स्त्रियों के सद्गुणों व अनुरक्त स्त्रियों की चेष्टाओं चर्चा की है, जिससे पुरुषों व स्त्रियों को स्वयं अपने आप को समझने में आसानी होगी अवगुणी या विरक्त स्त्रियों की क्या चेष्टाएँ होती इसकी चर्चा मैं अपने अगले BLOG में करूंगा।
आचार्य वराहमिहिर ने अनुरक्त स्त्री के लक्षण इस प्रकार बताए हैं – सद्गुणी या अनुरक्त स्त्रियाँ अपने प्रिय, प्रेमी या पति से मीठे वचन बोलती है। प्रिय को अपना धन देती है। गिफ्ट देती है, प्रेमी या पति को देखकर खुश होती है, उसका इंतजार करती है, अपने पति या प्रिय के गुणों की प्रशंसा करती या तथा उसके दोषों को भी छुपाती है। प्रेमी या पति के किए कार्यों व एहसानों को याद रखती है। प्रिय के मित्रों की पूजा करती है व प्रिय के शत्रुओं से द्वेष करती है। प्रिय के विदेश या दूर जाने पर दुखी होती है। प्रिय द्वारा छुहे जाने पर, अधर-पान, चुम्बन व आलिंगन के लिए आतुर रहती है।
प्रेम भाव में या लवअफ़ैर्स में पड़ी अनुरक्त स्त्रियों के मनोभावों को इस प्रकार होते हैं कि – छोटी से छोटी वस्तु को भी वह अपने प्रिय से मांगटी है, प्रेम के भाव में क्षण भर में रोमांचित हो जाती है, शरीर पर धारण आभूषणों अर्थात् नाभि, हाथ, भुजा व छाती पर धारण सभी आभूषणों को दिखाती है, केशों को बार-बार सवारती है, केशों की नई-नई साज-सज्जा करना, नए व आकर्षित वस्त्रों को पहनना बहुत ज़ोर से खखारना, बोलते समय या शब्द के साथ हंसना, प्रिय के बेड पास या उसके पास जाकर अंगड़ाई व जंभाई लेना प्रिय या पति के सामने खड़े बालकों का आलिंगन कर उन्हे चूमना, दूसरी दिशा की और देखते प्रिय को देखना, प्रिय के गुणों की सदैव प्रसंशा करना ये सभी गुण भी सद्गुणी व अनुरक्त स्त्रियों के लक्षण ही हैं।
Regards-
Dr. Jitendra Vyas
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