दशाबोध और योगिनी दशाफल

दशाबोध और योगिनी दशाफल blog by Dr. Jitendra Vyas

Yogoni blog authorजातक की दशाएँ 32 प्रकार की होती है, विंशोत्तरी, अष्तोत्तरी, योगिनी, षोडशोत्तरी, चर, निसर्ग, द्दशोत्तरी, कालचक्र, पंचोत्तरी, शतवार्षिकी, काल, चक्र, चतुरशीतिमसा, अष्टमवर्ग, द्विसप्तमीसा, शट्त्रिंशद् वर्षा, स्थिरदशा, योगार्ध, अंशायु, पिंडायु, केन्द्रदशा, कारक, मंडूक, शूल, त्रिकोण, दृग, ब्रहम, राशि, पञ्चस्वरा, संध्या और पालक ।  आज के समय में अल्पज्ञानी ज्योतिषी विंशोंत्तरी दशा से ही फलित करते हैं, यद्यपि इन 32 प्रकार की दशायों को क्यों और कब देखना चाहिए, इसके पीछे एक मौलिक कारण है, इसी संदर्भ में आज हम इस blog में योगिनी दशा के पीछे छुपे गूढ़ को जानने का प्रयास करेंगे। योगिनी दशा 36 वर्ष की होती है, इसी प्रकार उपरोक्त सभी दशाएँ भिन्न-भिन्न वर्ष की होती है, शास्त्र कहते हैं कि, इस दशा को तभी काम में लेना चाहिए जब जातक अल्पायु हो, अर्थात 32 से 36 वर्ष, ।कुंडली में 8 प्रकार की योगिनी दशा देती है,मंगला, पिंगला, धान्या, भ्रामरी, भद्रिका, उल्का, सिद्धा और संकटा, चन्द्र से मंगला, सूर्य पिंगला से, गुरु धान्या से, मंगल भ्रामरी से, बुध भद्रिका से, शनि उल्का से, शुक्र सिद्धा से और संकटा से राहू उत्पन्न हुआ है। मैंने अपने शोध में यह पाया है कि, इसका उपयोग कई भी ले सकता है, परंतु यदि कोई भी इस दशा से फलित करे तो तो अन्य किसी दशा का सामंजस्य नहीं बिताया जा सकता है।

जन्म कुंडली में योगिनी का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान होता है। बिना योगिनी के भविष्यवाणी की सफलता में संदेह बना रहता है। अत: किसी भी जातक को अपनी शुभ-अशुभ योगिनी की जानकारी होना चाहिए तथा अशुभ योगिनी की शांति तुरंत करवाना चाहिए, क्योंकि यह प्रारंभ में ही कष्ट देना शुरू कर देती है। ये योगिनियां 8 प्रकार की होती हैं।

1. मंगला:- मंगला योगिनी 1 वर्ष की होती है। इस समय जातक को सफलता, यश, धन एवं अच्छे कार्यों से प्रशंसा प्राप्त होती है।

2. पिंगला- पिंगला 2 वर्ष की होती है। इसमें जमीन-जायदाद, भाई-बंधु की चिंता, मानसिक कष्ट,अशुभ समाचार, हानि, अपमान, बीमारी से कष्ट आदि होते हैं।

3. धान्या- धान्या की दशा में धन प्राप्ति के योग होते हैं। इसका समय 3 वर्ष का होता है। राजकीय कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

4. भ्रामरी- यह 4 वर्ष की होती है एवं 4 वर्ष तक अशुभ यात्रा, कष्ट, व्यापार में हानि, कर्ज की चिंता आदि अन्य अशुभ कार्य भ्रामरी के कारण होते हैं।

5. भद्रिका- भद्रिका 5 की होती है। इसकी दशा में धन-संपत्ति का लाभ होता है। सुंदर स्त्रियों एवं सुखोपभोग की प्राप्त होती है। राजकीय कर्मचारी को पदोन्नति प्राप्त होती है।

6. उल्का- उल्का 6 वर्ष की योगिनी होती है। इस समय नाना प्रकार के कष्टों से जातक परेशान हो जाता है। मानहानि, शत्रु भय, ऋण, रोग, कोर्ट केस, पारिवारिक कष्ट, मुंह, सिर, पैर में रोग होते हैं।

7. सिद्धा- सिद्धा की दशा 7 वर्ष की होती है। इसमें बुद्धि, धन व व्यापार में वृद्धि होती है। घर में विवाह आदि कार्य होते हैं।

8. संकटा- संकटा योगिनी 8 वर्ष की होती है। यह धन, बल, व्यापार व परिवार से संबंधित  नाना प्रकार के कष्ट देकर जातक को भयभीत कर देती है। अपने ही जनों का विसंयोग होता है। इस प्रकार ये आठों योगिनियां जातक के भविष्य को प्रभावित करती हैं।

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Blog no. 107, Date: 30/9/2017

Dr. Jitendra Vyas, 9928391270, www.drjitendraastro.com, info@drjitendraastro.com

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