प्रेम विवाह के योग

प्रेम विवाह के योग blog by डॉ. जितेन्द्र व्यास

prem vivah yogआज मैंने प्रेम तथा प्रेम विवाह के योगों के बारे में इस blog में चर्चा की है, जो जातक प्रेम विवाह करने चाहते हैं, परंतु योग विपरीत है, उनके लिए कुछ सिद्ध उपाय भी सुझाए है। जिससे जातक (स्त्री व पुरुष) ग्रहों के अनुसार उपाय करके  आप अपना मन पसंद जीवन साथी किसी समस्या के बिना ही पा सकेंगे । प्रेम विवाह हेतु निर्धारित भाव एवं ग्रह ज्योतिष शास्त्र में सभी विषयों के लिए निश्चित भाव निर्धारित किया गया है लग्न, पंचम, सप्तम,नवम, एकादश, तथा द्वादश भाव को प्रेम-विवाह का कारक भाव माना गया है यथा —

लग्न भाव — जातक स्वयं।

पंचम भाव — प्रेम या प्यार (love affairs) का स्थान।

सप्तम भाव — विवाह का भाव।

नवम भाव — अंत में  माता पिता की आज्ञा ।

एकादश भाव — लाभ स्थान।

द्वादश भाव — भोग व शय्या सुख का स्थान।

वहीं सभी ग्रहो को भी विशेष कारकत्व प्रदानकिया गया है। यथा “शुक्र ग्रह” को प्रेम तथाविवाह का कारक माना गया है। स्त्री की कुंडली में “ मंगल ग्रह “ प्रेम का कारक माना गया है। प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत या नियम

1,पंचम और सप्तम भाव तथा भावेश के साथ सम्बन्ध।पंचम भाव प्रेम का भाव है और सप्तम भाव विवाहका अतः जब पंचम भाव का सम्बन्ध सप्तम भावभावेश से होता है तब प्रेमी-प्रेमिका वैवाहिक सूत्रमें बंधते हैं।

2,पंचमेश-सप्तमेश-नवमेश तथा लग्नेश का किसी भी प्रकार से परस्पर सम्बन्ध हो रहा हो तो जातक का प्रेम, विवाह में अवश्य ही परिणत होगा हाँ यदि अशुभ ग्रहो का भी सम्बन्ध बन रहा हो तो वैवाहिक समस्या आएगी।

3,लग्नेश-पंचमेश-सप्तमेश-नवमेश तथा द्वादशेश का सम्बन्ध भी अवश्य ही प्रेमी प्रेमिका को वैवाहिक बंधन बाँधने में सफल होता है।

4,प्रेम और विवाह के कारक ग्रह शुक्र या मंगल का पंचम तथा सप्तम भाव-भावेश के साथ सम्बन्ध होना भी विवाह कराने में सक्षम होता है।

5,सभी भावो में नवम भाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है नवम भाव का परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सम्बन्ध होने पर माता-पिता का आशीर्वाद मिलता है और यही कारण है की नवम भाव –भावेश का पंचम- सप्तम भाव भावेश से सम्बन्ध बनता है तो विवाह भागकर या गुप्त रूप से न होकर सामाजिक और पारिवारिक रीति-रिवाजो से होती है।

6,शुक्र अगर लग्न स्थान में स्थित है और चन्द्र कुण्डली में शुक्र पंचम भाव में स्थित है तब भी प्रेम विवाह संभव होता है।

7,नवमांश कुण्डली जन्म कुण्डली का सूक्ष्म शरीर माना जाता है अगर कुण्डली में प्रेम विवाह योग नहीं है या आंशिक है और नवमांश कुण्डली में पंचमेश,सप्तमेश और नवमेश की युति होती है तो प्रेम विवाह की संभावना प्रबल हो जाती है।

8,पाप ग्रहो का सप्तम भाव-भावेश से युति हो तो प्रेम विवाह की सम्भावना बन जाती है।

9,राहु और केतु का सम्बन्ध लग्न या सप्तम भाव-भावेश से हो तो प्रेम विवाह का सम्बन्ध बनता है।

10,लग्नेश तथा सप्तमेश का परिवर्तन योग या केवल सप्तमेश का लग्न में होना या लग्नेश का सप्तम में होना भी प्रेम विवाह करा देता है।

11,चन्द्रमा तथा शुक्र का लग्न या सप्तम में होनाभी प्रेम विवाह की ओर संकेत करता है।

उपाय:-

1) सप्तमेश व पंचमेश का रत्न सिद्ध बीसा यंत्र के साथ पहने।

2) मामा से लेकर तांबे की रंग अनामिका में धारण करें।

3) कात्यायनी अनुष्ठान करें।

4) नवमांश के लग्नेश का लग्नेश का रत्न धारण करें।

5) स्त्री मंगला गौरी का व्रत करें।

Date: 26/7/2017, blog no. 90

Contact: डॉ. जितेन्द्र व्यास

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