अनुष्ठान
जिस प्रकार किसी जातक की बीमारी बताने के बाद उसका उपाय ना बताया जाये तो उसका कुछ मायना नहीं होता उसी प्रकार ज्योतिषीय योगों को बताकर उसका उपाय बताना भी आवश्यक होता है। यहाँ पर मैनें सभी समस्याओं के निवारण के लिये उचित अनुष्ठान बताये हैं।
- बालारिष्ट योग : यह योग स्त्री के 6 माह से बड़े गर्भ से लेकर 6 वर्ष तक के बच्चे को होता है, बच्चा इस योग में बीमार रहता है कभी भारी बालारिष्ट में बच्चे की मृत्यु भी हो जाती है यदि गर्भ में स्थित बच्चे की गर्भ कुंडली हो और उसमे बालारिष्ट योग हो या जन्म के बाद बालारिष्ट योग घटित हो तो बालारिष्ट अनुष्ठान अवश्य करावें जिनसें शिशु के प्रारम्भिक जीवन की कठिनाई व उसका अरिष्ट नाश होता है ।
- पुत्रेष्टि अनुष्ठान : यदि किसी दंपति के संतान ना हो तो इस अनुष्ठान से संतान शीघ्र ही प्राप्त हो जाती है।
- बगलामुखी अनुष्ठान : यदि कोई जातक अपने शत्रु से परेशान हो, कोई केस से, पुलिस कोर्ट व मुकदमें इत्यादि चल रहे हों, वह कहीं भी किसी भी समस्या में फंसा हो तो इस अनुष्ठान के करने से सभी समस्याओं से निकाल जाता है।
- घट विवाह / शालिग्राम विधान : यदि किसी स्त्री या पुरुष की कुंडली भयंकर मांगलिक दोष हो, दो या उससे अधिक विवाह की संभावना हो, विवाह पक्ष कष्टकारक हो तो यह विधान अपनाया जाता है यदि सही प्रकार से यह अनुष्ठान किया जाये तो सभी वैवाहिक या अविवाह की समस्याएँ समाप्त हो जाती हैं।
- षडाष्टक योग: यह योग यदि विवाह से संबन्धित हो तो स्त्री या पुरुष विवाह के बाद परम कष्टमय जीवन बिताते हैं। इस योग में स्त्री / पुरुष चाह कर भी एक दूसरे से अलग नहीं हो पाते और प्यार से साथ भी नहीं रह पाते है ऐसे में वैवाहिक जीवन नरक बन जाता है ऐसे स्त्री/पुरुष को शीघ्र ही षडाष्टक की शांति करवानी चाहिए और अपना जीवन सुखी बनाना चाहिए।
- महामृत्युंजय अनुष्ठान: इस उपाय से जातक मौत के मुंह से बाहर आ जाता है, किसी मनुष्य की भयंकर असाध्य बीमारी से, भयंकर दुर्घटना से या ऐसी किसी भी स्थिति से बाहर लाने के लिए इस अनुष्ठान का उपयोग किया जाता है। यदि मेरा अनुभव यदि मृत्युंजय पूजन सही ऋत्विज (पंडित) करे तो मृत्यु पर भी विजय पायी जा सकती है।
- यदि विवाह ना होता हो तो : यदि किसी कन्या या पुरुष का विवाह सम्बंध नहीं हो पा रहा हो चाहे किसी भी कारण से हो – मांगलिक दोष हो, विवाह भंग हो। ऐसी परिस्थिति में जातक को सप्तमेश के पूजन के साथ अभिमंत्रित सप्तमेश के रत्न का बिसायंत्र गले में धारण करना चाहिए यह उपाय सिद्ध है। हमनें इस उपाय से अनगिनत विवाह करवाए है।
- वराह धारयुद्धरणाय अनुष्ठान : इस अनुष्ठान में जातक यदि भूमि खरीदना व बेचना चाहते हैं चाहे वह भूखंड हो, खदान हो, मकान हो, फैक्ट्री हो, खेत हो, कॉम्प्लेक्स हो तो इस अनुष्ठान को प्रयोग में लाया जाता है। इस पूजा द्धारा जातक आसानी से मनचाहा भूखंड खरीद सकता है और इसी अनुष्ठान को करके अपना भूखंड इत्यादि कुछ भी बेच सकता हैं।
- शतचंडी/लक्षचंडी/सहस्त्रचंडी विधान : यह अनुष्ठान सभी समस्याओं का एक उपाय है। व्यक्ति की किसी भी प्रकार की समस्या बाधाएँ है तो इस प्रयोग में भागीदारी उसकी ज़िंदगी संवार देती है। जानकार पंडितो से करवाया हुआ हवन ही फलदायक रहेगा।
- प्रत्यांगिरा अनुष्ठान : यह अनुष्ठान शत्रु बाधा या अभिचार व्याधि या बुध, गुरु व शुक्र ग्रह से जनित बीमारियों या अरिष्टों के निवारण के लिए होता है।
- महाधन्वन्तरी वैदिक मंत्र प्रयोग : मनुष्य की सभी प्रकार की शारीरिक बाधाओं का तन्त्रोक हवन अनुष्ठान है इससे व्यक्ति की बीमारियों में चमत्कारिक फल मिलता है।
- भगवान दत्तात्रेय मंत्र अनुष्ठान : यह प्रयोग बृहस्पति ग्रह जन्य दोषों के निवारण के लिए जैसे डायबिटीज़, वाणी दोष, विध्या दोष, पुत्र न प्राप्त होना, स्त्री विवाह में देरी इत्यादि सभी प्रकार के दोष समाप्त हो जाते है।
- पद प्राप्ति प्रतिष्ठान : इस प्रकार का प्रयोग मनुष्य अपनी सरकारी या परमानेंट नौकरी पाने के लिए कर सकता है। इस अनुष्ठान के बाद जातक को रेगुलर इनकम की कमी नहीं खलती है।
- उच्छिष्ट गणपती प्रयोग : यह प्रयोग विशेषकर बड़े पदाधिकारिओं, राजनीतिज्ञ, मंत्री, मुख्यमंत्री या इनके समकक्ष पद वाले व्यक्तियों के लिए होता है, यदि उनकी कुण्डली मे राजयोग भंग हो रहा हो या उनकी पद हानि होने की संभावना हो तो यह अनुष्ठान उनके लिए चमत्कारिक सिद्ध होता है |
- लक्ष्मी दाता पद्मावती यंत्र प्रतिष्ठा : कोई भी व्यक्ति पद्मावती यंत्र की प्रतिष्ठा कर ले तो वह अटूट लक्ष्मी का स्वामी बन जाता है, दरिद्रय भी लक्ष्मीवान हो सकता है।
- गृह शांति / वास्तु दोष शांति अनुष्ठान : किसी जातक के पास कुण्डली ना हो और घर में अशांति हो, वहाँ रहने वाले यदा-कदा बीमार रहते हों या उनकी प्रगति रुक गयी हो तो गृह शांति या वास्तु दोष शांति अनुष्ठान के साथ यांत्रिक प्रतिष्ठान द्धारा ग्रह व गृह शांति कर सकते हैं।