Diabetes ka Upay

डायाबिटिज का कारण और निवारण – ज्योतिषानुसार

विश्व में मधुमेह (डायाबिटिज) आज सबसे बड़ी व्याधि बन गया है। वैदिक काल से ही ज्योतिष शास्त्र का चिकित्सा विज्ञान से संबंध रहा है। मानव शरीर में विकारों का मूल कारण ग्रह-नक्षत्र ही हैं चूंकि ज्योतिष का एक मूल सिद्धांत है “यत् पिंडे तत्ब्रह्मांडे”। साथ ही पूर्व जन्म के कर्म व इस जन्म की प्राकृत कियाएँ भी इसका कारण है। डायाबिटिज वंशानुगत (हेरिडीटी) भी होती है। इसका भी ज्योतिषीय कारण मेरी रिसर्च में आया है। जातक की कुंडली में उसके माता-पिता के कारक स्थान होते हैं, साथ ही मानव की कुंडली में देह वश परम्परा के कारक स्थान भी वर्णित होते हैं।

** पिता से आने वाले रोगों के लिए कुण्डली का लग्न, सप्तम व छठा भाव उत्तरदायी होता है तथा षष्ठ व सप्तम भाव से माता की तरफ से आने वाले वंशानुगत रोगों की चर्चा की जाती है। कालपुरुष (मेडिकल एस्ट्रोलोजी) की कुण्डली में षष्ठ व सप्तम भाव क्रमशः गुर्दे व मूत्राशय से संबंध रखते हैं और यही अंग डायाबिटिज रोग के लिए उत्तरदायी होते हैं।

डायाबिटिज रोग कारण :-

1.) यदि त्रिशांश कुण्डली का लग्नाधिपति, जन्म कुण्डली में षष्ठेश, सप्तमेश, अष्टमेश या फिर व्ययेश हो तो ध्यान रहे ऐसा व्यक्ति अपने बाल्यकाल या किशोर अवस्था में ही डायाबिटिक हो जाता है।

2.) अष्टमेश सप्तम में हो, षष्ठेश व सप्तमेश का अंतर परिवर्तन हो तो भी डायाबिटिज रोग की प्रबल संभावना रहती है।

3.) दशम स्थान में मंगल-बुध, बुध-शनि या शनि-सूर्य हों और इनको गुरु ग्रह देख रहा तो भी डायाबिटिज रोग की प्रबल संभावना रहती है।

वैसे तो डायाबिटिज होने कई और ज्योतिषीय कारण भी में यहां बता सकता हूँ पर ये BLOG मेरे सामान्य ज्योतिष प्रेमी पाठक का हैं जिन्हे इतना गुड ज्ञान नहीं है अतः मैं उपायों पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित  करूँगा।

निवारण के उपाय:-

‘विष्णु धर्मोत्तर पुराण’ में कहा गया है की  “गोचरे व विलग्ने वा ये ग्रहारिष्ट सूचका:, पूजयेतान प्रयत्नेन पूजिता स्यु: शुभप्रदा: ॥” अर्थात् किसी भी अरिष्ट कारक ग्रह से जन्मे रोग का मांत्रिक, यांत्रिक, रत्नादि व दान से उपाय किया जा सकता है।

1.) पुखराज न पहनें। द्वेष, ईर्ष्या व नकारात्मक ऊर्जा को त्यागें। सोमवार, मंगलवार, गुरुवार व मुख्य रूप से विशाखा नक्षत्र के दिन पीला मिष्ठान, बेसन, शहद, गुड़ या पीले कपड़े में चने की दाल अवश्य दान करें।

2.) गुरु पीड़ा हरण यंत्र को बीसा यंत्र के साथ पहनें चूंकि गुरु ग्रह चर्बी के रोगों का मुख्य कारक होता है। गुरु होरा में निर्जल रहना प्रारम्भ करें। बगलामुखी या सर्वरोग निवारक अनुष्ठान करें।

**अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-

Dr. Jitendra Vyas

Contact: 09928391270

Email: dr.jitendra.astro@gmail.com, info@drjitendraastro.com

 

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