Kundli Anusar Vishay Chayan

ज्योतिष व कुण्डली अनुसार विषय निर्धारण                                             Blog no: 18, Date: 7/5/2015

व्यक्ति के जीवन में शिक्षा के दो कालखण्ड होते हैं, एक प्रारम्भिक शिक्षा जो की स्कूल समय तक होती है तथा दूसरा उच्च शिक्षा का जो की विद्यार्थी का कॉलेज समय होता है। किसी भी व्यक्ति की कुण्डली के दूसरे भाव से प्रारम्भिक शिक्षा को देखा जाता है तथा कुण्डली के पंचम भाव से उच्च शिक्षा को देखा जाता है। अच्छे स्कूल से बालक की प्रारम्भिक शिक्षा हो इसके लिए माता-पिता के ग्रह-योग भी सहायता करते हैं। यहां में इस BLOG में (10th  के बाद में ) उच्च शिक्षा  के लिए विषय चुनना या उसका निर्धारण करना इसी की चर्चा करूंगा। विद्यार्थी के लिए दशम कक्षा के बाद कला, विज्ञान या वाणिज्य विषयों में से किस एक विषय का चयन करें यह समस्या बन जाती है। इन सभी प्रश्नों का उत्तर में ब्लॉग में देने का प्रयास करूंगा।

विषय के चयन में जातक की कुण्डली का द्वितीयेश, पंचमेश, एकादशेश, नवमांश, सप्तमांश, विशांश, चतुर्विशांश की महता होती है। विज्ञान विषय में सफलता पाने के लग्न वृष, कर्क, सिंह, तुला, कुम्भ व मीन हैं ।

1) द्वितीयेश व व्ययेश यदि बलवान हो या बली बुध, गुरु व शनि ग्रह का सम्बंध द्वितीय भाव से हो तो जातक ज्योतिषी, वकील, सलाहकर, जज, दलाल बन कर अपनी आजीविका कमाता है अर्थात् ऐसे विध्यार्थियों को उपरोक्त पद पर पहुँचने लायक विषयों का ही चयन करना चाहिए।

2) कुण्डली के विशांश चक्र में यदि लग्नेश, द्वितीयेश व पंचमेश आपस में सम्बंध बना रहे हों तो जातक CA, CS, टैक्स सलाहकार, शेयर मार्केट व कमोडिटी मार्केट का अधिकारी व विशेषज्ञ जरूर बनता है अतः ऐसे योग वाले जातक को commerce विषय अवश्य लेना चाहिए।

3) यदि लग्न, सप्तमांश व विशांश चक्र में शुक्र, शनि व चन्द्र ग्रह का सम्बंध पंचम, द्वितीय या दशम भाव  में से किसी भाव में हो तो ऐसे जातक को फ़ाइन आर्ट्स (चित्रकला), म्यूजिक व सैंड आर्ट्स का विद्यार्थी होकर अपना जीवन यापन करेगा।

4) आजकल डोनेशन से भी विद्या ग्रहण होती है जैसे यदि किसी कुण्डली में द्वितीयेश व तृतीयेश बलवान हो चोथे, पांचवे, सांतवे व दशवे भाव में विराजित हो तो ऐसा व्यक्ति अपने धन बल से डॉक्टरी करता है अर्थात् बिना प्रतियोगी परीक्षा दिये सिर्फ डोनेशन देकर ही ।

5) कुण्डली में यदि सूर्य, शुक्र व बुध का सम्बंध गुरु या मंगल ग्रह से पंचम द्वितीय या एकादश भाव में हो जाए तो जातक क्रमश सूर्य- कम्प्युटर इंजीनियर, शुक्र- मेकेनिकल इंजीनियर व बुध- इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन इंजीनियर बनता है। ***और अधिक समीकरणों पर पृथक चर्चा हो सकती है।***

6) यदि पंचम या एकादश भाव में सूर्य, शुक्र, बुध व बृहस्पति ये चारों ग्रह हो तो व्यक्ति PhD या D.lit अवश्य करता है। लेकिन चारों में से जो ग्रह अधिक मजबूत होगा वही विषय चुना जाएगा।

यह तो सिर्फ सतही चर्चा है आप अपने या अपने बच्चे के योग जानने के लिए तथा विषय चयन से पूर्व अपनी कुण्डली का अवलोकन अवश्य करें व करवाएँ। ग्रहयोग पर सारगर्भित चिंतन के लिए ही मैंने यह blog लिखा है। आपके सुझाव व प्रश्नों के लिए मिले व लिखें।

 

डॉ. जितेन्द्र व्यास (Astrologer / Author)

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