असाध्य रोगनाशक देवीमन्त्र blog by Dr. Jitendra Vyas
आज एक अद्वितीय ब्लॉग आप सभी के लिए मैंने लिखा है, यदि किसी जातक को असाध्य रोग हो गया है,अर्थात वह रोग जिससे वह सदैव परेशान रहता है, और उपाय के नाम पर दवाई,डाँक्टर से बार बार मिलने का झंझट, लेकिन फिर भी कोई फर्क महसूस नहीं हो रहा है, तो ऐसे जातकों के लिए कुछ मंत्र व एक यन्त्र का एक साथ उपाय सुझाया है, जो की शास्त्रार्थ है। जातक को अपने रोग से संबन्धित निम्नलिखित मंत्रो का जाप करना है, और अपने कुण्डली के अनुसार लग्नेश के रत्न को बीसा यंत्र में धारण करना होगा, जाप का समय गुरुमुखी है।
मंत्र 1.“ॐ उं उमा-देवीभ्यां नमः”
‘Om um uma-devibhyam namah’
इस मन्त्र से मस्तक-शूल (headache,MIGRAINE) तथा मज्जा-तन्तुओं (Nerve Fibers) की समस्त विकृतियाँ दूर होती है – ‘पागलपन’(Insanity, Frenzy, Psychosis, Derangement, Dementia, Eccentricity)तथा ‘हिस्टीरिया’ (hysteria) पर भी इसका प्रभाव पड़ता है ।
2.“ॐ यं यम-घण्टाभ्यां नमः”
‘Om yam yam-ghantabhyam namah’
इस मन्त्र से ‘नासिका’ (Nose) के विकार दूर होते हैं ।
3.“ॐ शां शांखिनीभ्यां नमः”
‘Om sham shankhinibhyam namah”
इस मन्त्र से आँखों के विकार (Eyes disease) दूर होते हैं । सूर्योदय से पूर्व इस मन्त्र से अभिमन्त्रित रक्त-पुष्प से आँख झाड़ने से ‘फूला’ आदि विकार नष्ट होते हैं ।
4.“ॐ द्वां द्वार-वासिनीभ्यां नमः”
‘Om dwam dwar-vasineebhyam namah’
इस मन्त्र से समस्त ‘कर्ण-विकार’ (Ear disease) दूर होते हैं ।
5.“ॐ चिं चित्र-घण्टाभ्यां नमः”
‘Om chim chitra-ghantabhyam namah’
इस मन्त्र से ‘कण्ठमाला’ तथा कण्ठ-गत विकार(तुतलाना, हकलाहट) दूर होते हैं ।
6.“ॐ सं सर्व-मंगलाभ्यां नमः”
‘Om sam sarva-mangalabhyam namah’
इस मन्त्र से जिह्वा-विकार (tongue disorder) दूर होते हैं । तुतलाकर बोलने वालों (Lisper) या हकलाने वालों (stammering) के लिए यह मन्त्र बहुत लाभदायक है ।
7.“ॐ धं धनुर्धारिभ्यां नमः”
‘Om dham dhanurdharibhyam namah’
इस मन्त्र से पीठ की रीढ़ (Spinal) के विकार (backache) दूर होते है। This is also useful for Tetanus.
8.“ॐ मं महा-देवीभ्यां नमः”
‘Om mam mahadevibhyam namah’
इस मन्त्र से माताओं के स्तन विकार अच्छे होते हैं । कागज पर लिखकर बालक के गले में बाँधने से नजर, चिड़चिड़ापन आदि दोष-विकार दूर होते हैं ।
9“ॐ शों शोक-विनाशिनीभ्यां नमः”
‘Om Shom Shok-vinashineebhyam namah’
इस मन्त्र से समस्त मानसिक व्याधियाँ नष्ट होती है । ‘मृत्यु-भय’ दूर होता है । पति-पत्नी का कलह-विग्रह रुकता है । इस मन्त्र को साध्य के नाम के साथ मंगलवार के दिन अनार की कलम से रक्त-चन्दन से भोज-पत्र पर लिखकर, शहद में डुबो कर रखे । मन्त्र के साथ जिसका नाम लिखा होगा, उसका क्रोध शान्त होगा ।
10.“ॐ लं ललिता-देवीभ्यां नमः”
‘Om lam lalita-devibhyam namah’
इस मन्त्र से हृदय-विकार (Heart disease) दूर होते हैं ।
11.“ॐ शूं शूल-वारिणीभ्यां नमः”
‘Om shoom shool-vaarineebhyam namah’
इस मन्त्र से ‘उदरस्थ व्याधियों’ (Abdominal) पर नियन्त्रण होता है। प्रसव-वेदना के समय भी मन्त्र को उपयोग में लिया जा सकता है ।
12.“ॐ कां काल-रात्रीभ्यां नमः”
‘Om kaam kaal-raatribhyam namah’
इस मन्त्र से आँतों (Intestine) के समस्त विकार दूर होते हैं। विशेषतः ‘अक्सर’, ‘आमांश’ आदि विकार पर यह लाभकारी है ।
13.“ॐ वं वज्र-हस्ताभ्यां नमः”
‘Om vam vajra-hastabhyam namah’
इस मन्त्र से समस्त ‘वायु-विकार’ दूर होते हैं। ‘ब्लड-प्रेशर’ के रोगी के रोगी इसका उपयोग करें ।
14.“ॐ कौं कौमारीभ्यां नमः”
‘Om kaum kaumareebhyam namah’
इस मन्त्र से दन्त-विकार (Teeth disease) दूर होते हैं। बच्चों के दाँत निकलने के समय यह मन्त्र लाभकारी है ।
15.“ॐ गुं गुह्येश्वरी नमः”
‘Om gum guhyeshvari namah’
इस मन्त्र से गुप्त-विकार दूर होते हैं। शौच-शुद्धि से पूर्व, बवासीर के रोगी 108 बार इस मन्त्र का जप करें । सभी प्रकार के प्रमेह – विकार भी इस मन्त्र से अच्छे होते हैं ।
16.“ॐ पां पार्वतीभ्यां नमः”
‘Om paam paarvatibhyam namah’
इस मन्त्र से ‘रक्त-मज्जा-अस्थि-गत विकार’ दूर होते हैं। एड्स, ब्लड सुगर,कुष्ठ-रोगी इस मन्त्र का प्रयोग करें ।
17.“ॐ मुं मुकुटेश्वरीभ्यां नमः”
‘Om mum mukuteshvareebhyam namah’
इस मन्त्र से पित्त-विकार दूर होते हैं। अम्ल-पित्त के रोगी इस मन्त्र का उपयोग करें ।
18.“ॐ पं पद्मावतीभ्यां नमः”
‘Om pam padmavateebhyam namah’
इस मन्त्र से कफज व्याधियों पर नियन्त्रण होता है।
Blog no. 108, Date: 2/10/2017
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