कब और कैसा जीवनसाथी मिलेगा?

कब और कैसा जीवनसाथी मिलेगा..? जाने ज्योतिषानुसार By डॉ. जितेन्द्र व्यास

Indian-Marriageआज के युग में सबसे बड़ी समस्या विवाह की है। आज का युवा वर्ग वर्ग विवाह या प्रेम-प्रसंग से पूर्व जन्मकुंडली के माध्यम से अपने जीवन साथी के बारे में जानने को उत्सुक रहता है। अतः आज मैंने अपने इस BLOG में इस बड़ी व प्रासंगिक समस्या पर कुछ प्रामाणिक व वैदिक चर्चा की है। यहाँ में आपको संक्षिप्त व सारगर्भित रूप से जातक के विवाह का समय व जीवन के क्षेत्र व प्रकार को बताऊंगा। आज देश, काल व पात्र भिन्न हैं अतः फलित करते समय उनका सम्यक ज्ञान अनिवार्य रहेगा क्योंकि अलग-अलग काल खण्ड में जीवन साथी की चाहत के मानदंड बदलते रहते है। आजकल का युवा वर्ग जीवनसाथी की तलाश में अपने कार्यक्षेत्र का या उसके कार्यक्षेत्र में सहायक, सहयोगी जीवनसाथी को प्राथमिकता देता है। जैसे इंजीनियर चाहता है कि इंजीनियर से विवाह हो। डॉक्टर का डॉक्टर से अर्थात् व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र के ही जीवनसाथी को ज्यादा पसंद करता है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र (कुण्डली इत्यादि में) में जो ग्रहयोग होते हैं उसी अनुसार विवाह कर्म सम्पन्न होते हैं।

स्त्री व पुरुष के विवाह के समय व जीवनसाथी के बारे में फलकथन में काफी अंतर होता है लेकिन आज के ज्योतिषी इस बात का ध्यान नहीं रखते और वंही गड़बड़ होती है। दूसरी बात यह है कि दैवज्ञ वर्ग सिर्फ गुण मिलन या सप्तम भाव को देखकर पति व पत्नी का निर्णय कर देते हैं, लेकिन यह दोनों भी सर्वथा मान्य सिद्धांत नहीं है। अन्य कई महत्वपूर्ण समीकरण होते हैं जिन्हे धन में रखना अनिवार्य है जैसे स्त्री कि कुण्डली में पति सुख के लिए अष्टमेश व शारीरिक सुख के लिए दोनों कि कुण्डली में द्वादशेश को देखा जाता है इसके अलावा नवमांश कुण्डली, कुण्डली में ग्रहों का तत्कालीन गोचर, विवाह के समय में दशा समांतर विश्लेषण अनिवार्य है तब ही सटीक फलित आता है।

1) पुरुष कुण्डली का सप्तमेश, द्वादशेश व नवमांश कुण्डली का लग्नेश।

2) स्त्री कुण्डली में सप्तमेश, द्वादशेश, अष्टमेश व भाग्येश ।

@यदि किसी जातक कि कुण्डली में पंचमेश, सप्तमेश व भाग्येश या केवल सप्तमेश व भाग्येश का बाली संबंध हो तो उसी कार्यक्षेत्र का संबन्धित जीवनसाथी मिलता है।

@जब विवाह योग्य आयु में बृहस्पति ग्रह का गोचर नवम, अष्टम, पंचम मे हो तो अवश्य ही विवाह होता है।

@सप्तमेश, अष्टमेश, नवमेश व द्वादशेश कि दशा व अंतरदशा में विवाह हो जाता है।

कुण्डली के सप्तमेश व ग्रहों के अनुसार सारगर्भित फल इस प्रकार है-

1) यदि सूर्य सप्तमेश हो तो कम्प्युटर इंजीनियर, फिजीसीयन, जोहरी, इम्पोर्ट- एक्सपोर्ट या मसाला व्यापारी इन कार्यो से संबन्धित जीवनसाथी मिलता है।

2) यदि चन्द्र सप्तमेश हो तो रत्नों का व्यापारी, क्रूज ड्राईवर, नेवी, विदेश व्यापारी, आयुर्वेद या योग का विशेषज्ञ इन कार्यो से संबन्धित जीवनसाथी मिलता है।

3) यदि मंगल सप्तमेश हो तो मेनेजर, पुलिस, मिलिट्री, प्रशासनिक अधिकारी, पर्वतों पर कार्यों को करने वाला व मेकेनिकल, सिविल इंजीनियर इत्यादि इन कार्यो से संबन्धित जीवनसाथी मिलता है।

4) यदि बुध ग्रह सप्तमेश हो तो वकील, सीए, सीएस, एमबीए, ब्याज-बट्टा, बेंकर, रेशनिस्ट, ज्योतिषी, टीचर इत्यादि इन कार्यो से संबन्धित जीवनसाथी मिलता है।

5) यदि गुरु ग्रह सप्तमेश हो तो प्रोफेसर, टीचर, स्टेश्नरी, शिक्षा से जुड़े कार्य, चिंतक, दार्शनिक, अधपका वैरागी, मिष्ठान व्यापारी इत्यादि इन कार्यो से संबन्धित जीवनसाथी मिलता है।

6) यदि शुक्र ग्रह सप्तमेश हो तो व्यक्ति अभिनेता, नट, खान-पान, होटल व रिसोर्ट व्यवसायी, चिकित्सक, शोधक, इंजीनियर इत्यादि इन कार्यो से संबन्धित जीवनसाथी मिलता है।

7) यदि गुरु ग्रह सप्तमेश हो तो व्यक्ति तेल, पत्थर या खान व्यवसायी, बड़ा प्रशासनिक अधिकारी, न्यायाधिपति, बड़ा वकील इंजीनियर इत्यादि इन कार्यो से संबन्धित जीवनसाथी मिलता है।

****यह उपरोक्त फल सामान्य है भिन्न-भिन्न कुण्डली के लिए फल भिन्न होगा।

Blog no: 19 Date: 9/5/2015

Regards:

डॉ. जितेन्द्र व्यास (ज्योतिषी)

Contact: 09928391270

 

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