विवाह रेखा और आप

विवाह रेखा और आप By Dr. Jitendra Vyas

HANDहस्त रेखा शास्त्र एक ऐसा शास्त्र है जिसके द्वारा हम विवाह सम्बंध के सभी परिप्रेक्ष्य जान सकते हैं। इस BLOG में मैंने विवाह व प्रेम के सन्दर्भ में ऐसे सटीक समीकरण बताए हैं जिससे की आप अपने हाथ को देख कर स्वयं ही फलादेश कर पाएंगे। हाथ में छोटी उंगली के नीचे और हृदय रेखा के उपर हाथ के बाहरी भाग से प्रारम्भ हो बुध के क्षेत्र पर गई हुई रेखा या रेखाओं को विवाह रेखा कहते हैं। ये रेखा जितनी हों पुरुष के उतनी महिलाएँ और स्त्रियों के उतने पति होते हैं। यथा-

स्थिताश्चान्ते च या रेखा: कनिष्ठा जीव रेखयो:।

तावन्त्यो महिला स्तस्य स्त्रिया स्तावन्मिताधवा: ॥

यदि हाथ में विषम रेखा हो नीचे कुल के स्त्री/पुरुष से, यदि सम रेखा हो तो अपने समान कुल वाले से विवाह होता है। यदि रेखा सुंदर, सूक्ष्म व दीर्घ हो तो ऐसे पार्टनर से विवाह होता है जिसका विवाह पहले न हुआ हो या ऐसी स्त्री से जिसकी योनि अक्षत हो। और यदि विवाह-रेखा हीन, मोटी या कटि-फटी हो तो ऐसा विवाह दुर्भाग्य का सूचक होता है। किसी भी तरह के फलित करने से पहले देश, काल, समाज व पात्र का विचार कर लेना चाहिए। चूंकि भारत में 95% महिलाएँ व लगभग 80 से 85% पुरुष विवाह करते हैं, परन्तु विदेशों में यह प्रतिशत मान्य नहीं है क्योंकि भारत का और विदेशों का सामाजिक जीवन भिन्न है। इसलिए विदेशों के सम्यक इस रेखों को प्रेम रेखा माना जाएगा न की विवाह रेखा तथा अपने देश के दृष्टि कोण से इसे विवाह-रेखा कहना ही उपयुक्त होगा। जहां-कहीं इसका फल विवाह के रूप में न मिले वहाँ विवाहोत्तर संबंधों की परिनीति होगी। यहाँ मैं आपके विवाह से संबन्धित अतिउपयोगी व सटीक समीकरण दे रहा हूँ:-

1) यदि विवाह रेखा चन्द्र क्षेत्र से प्रारंभ होकर प्रभाव रेखा भाग्य रेखा में आकर मिल जाए या चन्द्र क्षेत्र से घुमावदार टेड़ी रेखा आकर मिले तो जातक का धनिक कुल में विवाह होता है। इसका मतलब है कि विवाह के द्वारा भाग्योदय होता है तथा खूब धन मिलता है।

2) यदि विवाह रेखा द्वीप चिन्न युक्त हो तो ऐसा जातक विवाह संबंधी कष्ट पाता है, लड़ाई-झगड़े होते हैं, कुछ समय बाद में पति-पत्नी में तलाक हो जाता है या 3 या 3 से अधिक द्वीप हों तो व्यक्ति को विवाह का नहीं सोचना चाहिए, क्योंकि वह बहुत ही कलहपूर्ण रहता है।

3) यदि विवाह रेखा कुछ देर सीधी जाकर बाद में नीचे की ओर हृदय रेखा की ओर घूम जाए तो जातक के पत्नी/पति की मृत्यु पहले होगी तथा उसकी बाद में।

4) यदि विवाह रेखा कुछ सीधी निकल कर उपर की तरफ मुड़ जाए तो जातक की विवाह में देरी होती है, कुछ ज्यादा उपर चली जाए तो जातक का विवाह ही नहीं होता है।

5) यदि विवाह रेखा स्पष्ट हो लेकिन उससे निकलकर पतली-पतली रेखाएँ हृदय-रेखा की और आएँ तो जातक के पार्टनर का स्वास्थ्य खराब रहता है, जिससे वैवाहिक जीवन दुख:मय होता है।

6) विवाह रेखा बुध पर्वत की तरफ जाकर, हृदय-रेखा की और घूम जाए तो जातक के मेरीज-पार्टनर की किसी दुर्घटना में मृत्यु होती है।

7) यदि विवाह रेखा द्विशाखा युक्त हो या दो खण्डों में विभाजित हो तो जातक का जीवन कलहपूर्ण रहता है, बाद में जाकर तलाक भी हो जाता है।

8) यदि विवाह रेखा में से एक शाखा निकल कर सूर्य-क्षेत्र पर पहुंचे और सूर्य-रेखा में ऊपर की ओर जाकर मिल जाए तो ऐसे व्यक्ति का किसी उच्च और अत्यन्त प्रतिष्ठित कुल में विवाह होता है।

9) यदि विवाह-रेखा के बाद उसके ही समानांतर रेखा हो तो विवाह के उपरांत जातक का किसी अन्य स्त्री से प्रेम सम्बंध है या फिर विवाह से पहले है। कभी-कभी ये भी देखा गया है कि ऐसे जातक की पहले सगाई हो चुकी होती है।

10) यदि विवाह-रेखा पर क्रॉस का चिन्न हो तो बहुत ही क्लेश व बाधा का सामना करना पड़ता है, यदि तारे का चिन्न हो तो जातक का प्रसिद्ध व सुप्रतिष्ठित व्यक्ति से विवाह होता है।

11) यदि विवाह-रेखा पर से तीन शाखाएँ निकलती हों तो व्यक्ति का गृहस्थ जीवन दुखी रहता है और जातक चाहकर भी तलाक नहीं ले पाता।

 

Blog No. 33 Date:20/6/2015

Dr. Jitendra Vyas (Astrologer)

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