-:मेहरानगढ़ दुखांतिका का कारण:-
यहां मैं अपने इस BLOG में मेहरानगढ़ हादसे का ज्योतिषीय विश्लेषण लिख रहा हूँ जो मैंने 2008 में किया था। जिसके लिए बाद में मुझे महाराजा गजसिंह जी साहेब दुर्गादास सम्मान से सम्मानित किया। कोई भी सामूहिक अनिष्ट(मेहरानगढ़ दुखांतिका) ग्रहों की गोचरीय व्यवस्था के अनुरूप ही घटित होते हैं अतः यहां मेहरानगढ़ किले की व उस दिन की गोचर कुण्डली की आवश्यकता है तथा सर्वप्रथम वो कारण जानने जरूरी हैं जिनके कारण मेहरानगढ़ दुखांतिका जैसे हादसे होते हैं – यदि मुख्य कुण्डली (मेहरानगढ़ किले), वर्ष कुण्डली य गोचर कुण्डली में:-
- अष्टमेश व लग्नेश का युति व दृष्टि सम्बंध हो ।
- कुण्डली के घातचक्र कोई बिन्दु उस समय घटित हो रहा हो।
- उस दिन पूर्णिमा या अमावस्या का दिन हो या फिर 1-2 दिन उपर-नीचे हो।
- अष्टमेश लग्नस्थ हो।
- उस दिन की गोचर कुण्डली में मोक्ष की दशा में मारकेश य अष्टमेश की अंतर-दशा चल रही हो।
अतः उपरोक्त बिन्दुयों में से यदि अधिकतर बिन्दु घट रहे हों तो सामूहिक अनिष्ट घटित हो सकता है। यहां दोनों मेहरानगढ़ किले (मुख्य कुण्डली में) व उस दिन के गोचर कुण्डली में अष्टमेश बृहस्पति है, जो लग्न को देख रहा है तथा मेहरानगढ़ किले की कुण्डली में तो लग्नेश को भी देख रहा रहा है। किले कुण्डली में उस समय चन्द्रमा की दशा चल रही थी ध्यान रहे की “भावात् भावम् सिद्धांतानुसार’’ अष्टम भाव से अष्टम भाव का आधिपति चन्द्रमा भी अष्टमेश का ही कार्य करेगा और वह लग्न में ही विराजित है।
शास्त्र व मेरी रिसर्च अनुसार किसी भी सामूहिक अनिष्ट से पहले उपरोक्त बिन्दु व समीकरणों के अलावा ग्रहण इत्यादि भी अनिष्ट घटित होने में प्रबलतम ज़िम्मेवार होते हैं। मैं बता दूँ की दुर्ग में घटित घटना से 1 माह पूर्व 15 दिनों में क्रमशः सूर्य व चन्द्र ग्रहण घटे थे। दोनों ही खंडग्रास ग्रहण थे जिनका प्रभाव तीन माह तक रहता है। दोनों ग्रहणों में से चन्द्रग्रहण की पृष्ठ भूमि देखने पर यह ज्ञात हुआ की यह ग्रहण कुम्भ राशि में घटित हुआ, पौराणिक पांडुलिपी ग्रंथ वर्ष-प्रबोध के अनुसार-
“कुम्भोमरागे पीड्यन्ते गिरिजा: पश्चिंभाजना:।
तस्करद्विरदामीरा: प्रजानां दु:ख दायका:॥” (राशिग्रहण प्रकरण-77, वर्षप्रबोध)
अर्थात् जब किसी देश में कुम्भ राशि में चन्द्र ग्रहण होता है और 15 दिनों के अंतराल में सूर्य ग्रहण भी हो रहा हो तो उस देश के पश्चिम प्रदेश (राजस्थान) के, पश्चिम भू-भाग (मारवाड़/जोधपुर) के पर्वत पर रहने वाले सबसे अमीर व्यक्ति (महाराजा गज सिंह जी साहेब का परिवार) द्वारा प्रजा दुखी होगी अर्थात् उनकी गलती न होते हुए भी वो लोग प्रजा के लिए दुख का निमित कारण बनेंगे।
अतः यह सारा फलित मात्र इस श्लोक पर निर्भर करता है यह घटना किसी मानवीय भूल का कारण नहीं है, यह घटना (मेहरानगढ़ दुखांतिका) तो मेहरानगढ़ किले के घातचक्र, ग्रहण, मेहरानगढ़ दुर्ग की कुण्डली व गोचर कुण्डली का समानांतर फलित के कारण हुई है।
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Dr. Jitendra Vyas
“Matra Aashirwad Jyotish Sansthan”
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