ज्योतिष में (ग्रह व नक्षत्र) तथा रोग

ज्योतिष में (ग्रह व नक्षत्र) रोग by डॉ. जितेन्द्र व्यास

ज्योतिष में शारीरिक रोगों की चर्चा, उनके कारण व निवारण विधियों की चर्चा काफी जगहों पर उपलब्ध है, लेकिन सांकेतिक रूप में। अतः मैंनें Nakshatra picइस Blog में ग्रह उनसे संबन्धित रोग व अंग तथा नक्षत्र और उनसे संबन्धित रोग व अंगों की सटीक व्याख्या की है तथा मस्तिष्क से लेकर पैर के तलवों तक के रोगों की व्यवस्था बताई है। सर्वप्रथम हम ये जान लें की मनुष्य रोगी व निरोगी क्यों होता है? कुंडली में लग्नेश का बलहीन होना जातक को रोगी बनाता है। “दु:स्थानपेनापि यूते विलग्ननाथे विलग्ने सति रोगभाकस्यात्” यदि लग्नेशत्रिक (6/8/12 भाव) में या त्रिकेश लग्न में हो तो जातक बीमार अवश्य होता है। ऐसे कई और समीकरण है जिनसे व्यक्ति विशेष बीमार होते हैं। और यदि लग्नेश केन्द्र, त्रिकोण में बली हो तो जातक के रोगी के रोगी होने की संभावना कम होती है। “लग्नाये केन्द्रत्रिकोणे न तू रोगभाकस्यात्”। यहाँ में ग्रह व नक्षत्रों से जुड़े अंग व रोगों की सारणी व चित्रानुसार बता रहा हूँ।

ग्रहों से संबन्धित रोग:-

1. सूर्य ग्रह:- कुण्डली में सूर्य यदि प्रभावहीन हो तो जातक क्षय, मंदाग्नि, piles, blood pressure, मधुमेह, पीलिया, बुखार, अपच, हड्डी टूटना व हड्डी के रोग, हृदय के रोग इत्यादि रोग से संक्रमन होता है।

2. चन्द्रमा ग्रह:- कमजोर चन्द्रमा से मानसिक पीड़ा, नेत्र रोग, आलस्य, पागलपन, खिन्नता, कफ, गठिया, स्त्री में मासिकधर्म संबन्धित रोग, अण्ड्कोश, जलोदर पीड़ा, पांडुरोग जैसे रोग होते हैं।

3. मंगल ग्रह:- अशुभ मंगल मनुष्य को गर्मी, धातु, ज्वर, रक्त विकार (उच्चव निम्न रक्त चाप), फोड़े, गुस्सा, माइग्रेन, सिरदर्द से संबन्धित बीमारियाँ देता है।

4. बुध ग्रह:- अशुभ बुध जातक को श्वास, वाकदोष (गूंगापन, हकलाना, तुतलाना) सिरदर्द, खांसी, दमा, चमड़ी के रोग, एलर्जी इत्यादि रोग देता है।

5. गुरु ग्रह:- अशुभ गुरु मधुमेह, मोटापा, चर्बी के रोग, सूजन, भूलने की बीमारी, नजले का रोग, नाक, कान, गला का रोग होता है।

6. शुक्र ग्रह:- शुभ शुक्र नपुंसकता, मूत्राशय, चर्म, चक्षु, प्रमेह व स्त्री संसर्ग से होने वाले रोग देता है।

7. शनि ग्रह:- क्षीण शनि से मनुष्य को अंग-भंग, कुष्ठ रोग, वात-पित्त, उदर, लकवा, दृष्टि-दोष, मिर्गी व स्नायु व तंत्रिका तंत्र से संबन्धित रोग होते हैं।

ज्योतिर्विज्ञान मानव शरीर सम्बन्धी व्याधियों को समझने व उनका समय रहते उपचार करने का सुलभ एवं प्रामाणिक मार्ग प्रस्तुत करता  है, जिसके आधार पर मानव विशेष अपनी नकारात्मक, जन्मजात या संभावित व्यधियों का उपचार कर सकता है। अनिष्ट ग्रहों से उत्पन्न बीमारियों की शांति के ज्योतिषियों ने पप्रधान रूप से औषिधी, मंत्र, जप, यज्ञ, तंत्र, रत्न, यत्न, व यंत्र ये सभी व्यवस्था बतलाई किसी विज्ञ ज्योतिषी से मिल कर आप अपने संभावित या हो चुके रोग की शांति कर सकते हैं

 

Blog no: 29 Date: 30/5/2015

Dr. Jitendra Vyas

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