छींक के शुभाशुभ फल: ज्योतिषानुसार by Dr. Jitendra Vyas (09928391270)
सभी देशों में, सभी कालों में छींक का होना शुभ है या अशुभ ऐसी चर्चाहोती रही है। कई प्रकार की किवदंतियाँ इस शारीरिक क्रियाकलाप के साथ जुड़ी हुई है। छींक के आने के बाद क्या फल होता है इसकी वैदिक चर्चा शायद ही आपने अपने जीवन में सुनी होगी। अतः प्रामाणिक तौर पर छींक का फल कहाँ और कब होता है इसका विवेचन मैं यहाँ इस BLOG में करूंगा।
छींक का फल – छींक होने पर कोई कार्य करने योग्य नहीं है तथा गमन पर छींक तो प्राण घातक होती है।यथा –
“जाते श्रुते तेन न किंचिदेव कुर्यात्श्रुत प्राणहरं गवां तु॥” बसंतराजशाकुन / वर्ग. षष्ठो / श्लोक2
सामने की छींक हो तो कार्य छोड़ दें, दायीं नेत्र की ओर छींक हो तो कार्य नहीं होगा, दायें कान की ओर छींक हो तो धन का नाश होगा, दायें कान के पीछे की ओर छींक हो तो दुश्मन बढ़ेंगे और घर पर लड़ाई होगी, कंठ के आगे व पीछे छींक हो तो अति शुभ फल दायक है।
बायें कान के पास छींक हो तो विजय प्राप्त होती है व प्रसिद्धि मिलती है। बायें कान के पास या पीछे छींकें हो तो गाड़ी व मकान इत्यादि का भोग मिलता है, और बायें नेत्र के आगे छींक हो तो सर्वत्र सर्वार्थ लाभ होता है।यह आठ प्रकार की छींक के फल है। यथा-
निषिद्धमग्रेअक्षणि दक्षिणे च धनक्षयं दक्षिणाकर्णदेशे ।
तत्पृष्ठभागे कुरुतेअरिवृद्धिम क्षुतं कृकानां शुभमाद धाती॥
भोगाय वामश्रवणस्य पृष्टे करणे च वामे कथितम जयाय ।
सर्वार्थलाभाय च वामनेत्रे जातं क्षुतं स्यात्क्रमतोष्टधैवम्॥बसंतराजशाकुन / वर्ग- षष्ठो / श्लोक 3-4
(i) शुभाशुभ व निष्फल छींक – दग्धा, प्रदीप्ता, धूमिता इन दिशा में छींक हो तो अपने यात्रा प्रवास को स्थगित करें अन्यथा विघ्न, कलह, उग्ररोग, अल्परोग, क्षय इत्यादि होंगें। शांता दिशा में छींक हो तो समृद्धि, क्षुधा, धन लाभ होता है।
दो व्यक्तियों के मध्य तीसरे की छींक निष्फल होती है। वृद्ध, गुरु व बालक की छींक निष्फल होती है। सोये हुए व्यक्ति द्वारा की गयी व भोजन के मध्य की गयी छींक क्रमशः निष्फल व अति अशुभ होती है तथा भोजन के अंत में की गयी छींक दूसरे दिन उससे अच्छे भोजन मिलने का संकेत होती है।
कोई व्यक्ति कार्य का उदेश्य व निर्देश निर्धारित करें उस समय छींक हो जाये तो कार्य का समूल नाश होता है। छींक पर कार्य करने को निकलना उचित नहीं है।
यहाँ मैं आठों दिशाओं में छींक का फल निरूपित कर रहा हूँजिसमें व्यक्ति विशेष को अक्ष मानकर फल बताया गया है।
ई १ हर्ष
शा २ नाश न ३ व्याधि को ४ पुरुष/ स्त्री मित्रसंगम ण |
पू १ लाभ
र्व २ धनलाभ दि ३ पुरुष/ स्त्री मित्रसंगम शा ४ अग्निभय |
आ १ लाभ
ग्ने २ पुरुष/ स्त्री मित्रसंगम य ३ शुभवार्ता को ४ अग्निभय ण |
उ १ शत्रुभय
त्त २ रिपुभय र ३ लाभ दि ४ भोजन शा |
आठों दिशाओं में होनेवाली शुभाशुभ छींक का फलचक्र |
द १ लाभ
क्षि २ मृत्युभय ण ३ नाश दि ४ काल शा |
वा १ स्त्रीलाभ
य २ लाभ व्य ३ पुरुष/ स्त्री मित्रसंगम को ४ दूरगमन ण |
प १ दूरगमन
श्चि २ हर्ष म ३ कलह दि ४ चोर शा |
नै १ लाभ
ऋ २ मित्रभेंट त्य ३ शुभवार्ता को ४ लाभ ण |
पूर्व दिशा में छींक हो तो मृत्यु का संकेत, आग्रेय कोण में शोक का फल है, दक्षिण दिशा में छींक से हानि, पश्चिम में छींक मीठा दिलाती है, वायव्य कोण में छींक सम्पदा व धन देती है, उत्तर दिशा छींक में कलह का संकेत देती है, ईशान कोण में छींक धनागम करती है, आकाश की छींक सर्व शत्रु का नाश व पाताल की छींक सर्व संपदा देती है। यह दस प्रकार की छींक है।
मेरे अनुभव अनुसार नवीन वस्त्र आभरण करते समय छींक हो तो लाभ अवश्य होगा अतः वह वस्त्र संभालकर रखें और अपने किसी विशेष कार्य को करवाने के लिए वही वस्त्र धारण करके जायें। स्नान के अंत में यदि छींक आये तो वह छींक अशुभ फल देती है अतः मेरी माने तो स्नान पुनः करना चाहिये। किसी रोगी व्यक्ति का हाल-चाल पूछते समय यदि पूछने वाले व्यक्ति को छींक आये तो रोगी तुरंत ठीक होगा। यदि डॉक्टर को बुलाते समय छींक आये तो रोगी मृत्यु द्वार पर खड़ा है अर्थात् मरणासन्न हैं। यदि घर आया डॉक्टर मरीज को देखते समय छींके तो रोगी तुरंत सही(निरोगी) होगा।
Blog No: 20, Date: 10/5/2015
Regards:
Dr. Jitendra Vyas
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