प्रेम विवाह योग
आज के भौतिकतावादी समय में व्यक्ति को प्रेम (लव अफेर) होना और उस प्रेम भाव में जीवन में आगे चलकर उसी प्रेमी/प्रेमिका से विवाह करने के लिए प्रवृत्त होना एक सामान्य बात हो गयी। मेरे पास ऐसे कई लोग आते हैं जिनका प्रश्न प्रेम, विवाह या प्रेम विवाह से संबन्धित होता है तो मैं आपको बताता चलूँ कि ज्योतिष में कोई भी व्यक्ति अपनी कुण्डली का सही तरह से परीक्षण करवा कर ये जान सकता है कि उसका विवाह अरेंज होगा या उसकी लव मेरीज होगा या फिर उसकी शादी लव कम अरेंज होगी। इसमें यह भी जाना जा सकता है कि व्यक्ति विशेष का प्रेम तो होगा परन्तु लेकिन प्रेम विवाह होगा या नहीं, यहां मैं सिर्फ शादी से पहले वाले लव अफ़ैर्स (प्रेम प्रसंग) कि चर्चा कर रह हूँ। शादी के बाद वाले लव अफ़ैर्स (विवाह पश्चात के प्रेम प्रसंग) कि चर्चा मैं किसी अन्य BLOG में करूंगा।
मनुष्य की कुण्डली में पंचम (5th) व नवम (9th) भाव से प्रेम प्रसंग देखा (ज्ञात किया) जा सकता है, सप्तम (7th) भाव से विवाह को देख जाता है। पंचम भाव का सम्बंध परिवार के विरुद्ध तथा नवम भाव से परिवार के सहयोग से प्रेम विवाह होता है। वैसे तो कई विभिन्न परिस्थितियों (20 समीकरण) के द्वारा प्रेम व प्रेम विवाह कि परिनीति बताई जाता है लेकिन सबसे सरल समीकरण है कि
1. यदि पंचमेश (lord of 5th house) व सप्तमेश (lord of 7th house) का सकारात्मक सम्बंध हो तो व्यक्ति प्रेम विवाह करता है।
2. यदि सप्तमेश सप्तम भाव में ही विराजित हो।
3. यदि पंचमेश व नवमेश का सप्तम तथा सप्तमेश का सकारात्मक सम्बंध हो तो भी व्यक्ति प्रेम विवाह करता है।
**यदि आप प्रेम व प्रेम विवाह संबन्धित किसी भी प्रकार की समस्या से पीड़ित है तो संपर्क कर सकते है।
Regards
Dr. Jitendra Vyas
(Astrologer/ Author/ Columnist)
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